Lakshmi Puja : पंचांग के अनुसार 13 अगस्त, शुक्रवार को सावन यानि श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है. इस पंचमी की तिथि को नाग पंचमी के नाम से भी जाना जाता है. नाग पंचमी का पर्व सावन के महीने का महत्वपूर्ण पर्व है. इस दिन भगवान शिव के साथ नाग देव की पूजा की जाती है.

नाग पंचमी पर लक्ष्मी जी की पूजा का भी अच्छा संयोग बन रहा है. शुक्रवार का दिन लक्ष्मी जी को समर्पित है. मान्यता है कि शुक्रवार के दिन लक्ष्मी जी की पूजा करने से जीवन में धन, मान-सम्मान और वैभव बना रहता है. शास्त्रों में लक्ष्मी जी को धन की देवी माना गया है. इसके साथ लक्ष्मी जी को वैभव की भी देवी कहा गया है. लक्ष्मी जी की कृपा से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है. कलियुग में लक्ष्मी जी का आशीर्वाद आर्थिक संकटों से मुक्ति दिलाता है. 

लक्ष्मी पूजन की विधिशुक्रवार को सुबह और शाम, लक्ष्मी जी की पूजा करने का विधान बताया गया है. इस दिन लक्ष्मी जी की आरती करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है. शुक्रवार की सुबह प्रात: काल स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए और पूजा प्रारंभ करनी चाहिए. पूजा के दौरान लक्ष्मी जी की प्रिय चीजों का भाग लगाएं. शाम के समय लक्ष्मी आरती के बाद घर के मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाना चाहिए. इसके बाद प्रसाद वितरित करना चाहिए. 

लक्ष्मी जी की आरतीओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।तुमको निशदिन सेवत हरि विष्णु विधाता।।ओम जय लक्ष्मी माता।उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जगमाता।सूर्य, चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।।ओम जय लक्ष्मी माता।दुर्गा रूप निरंजनी, सुख संपत्ति दाता।जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।।ओम जय लक्ष्मी माता।तुम पाताल निवासनी, तुम ही शुभ दाता।कर्म प्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता।।ओम जय लक्ष्मी माता।जिस घर में तुम रहतीं,सब सद्गुण आता।सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।।ओम जय लक्ष्मी माता।तुम बिन यज्ञ न होते, वस्तु न कोई पाता।खान पान का वैभव सब तुमसे आता।।ओम जय लक्ष्मी माता।शुभ्र गुण मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि जाता।रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता।।ओम जय लक्ष्मी माता।महालक्ष्मी जी की आरती जो कोई नर गाता।उर आनंद समाता, पाप उतर जाता।।ओम जय लक्ष्मी माता।लक्ष्मी माता की जय, लक्ष्मी नारायण की जय।

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