Ganesh Chaturthi 2021: पंचांग के अनुसार 10 सितंबर 2021, शुक्रवार को भाद्रपद यानि भादो मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है. इस तिथि को ही गणेश चतुर्थी कहा जाता है. गणेश चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश को समर्पित है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के प्रिय पुत्र की विशेष पूजा की जाती है.


गणेश जी को शास्त्रों में बुद्धि का दाता बताया गया है. इसके साथ ही गणेश जी को प्रथम देवता और विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. गणेश जी व्यक्ति के सभी संकटों के हरने वाले देवता माने गए हैं. इस दिन विधि पूर्वक पूजा करने से गणेश जी अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं. भादो मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी का पर्व बहुत ही भव्य रूप से मनाया जाता है. गणेश चतुर्थी की तिथि से ही गणेश उत्सव का आरंभ होता है. गणेश उत्सव पूरे 10 दिनों तक मनाया जाता है. बह्मवैवर्त पुराण में गणेश जी को भगवान श्रीकृष्ण का रूप बताया गया है.


गणपति बप्पा मोरया
10 सितंबर, शुक्रवार से गणेश उत्सव का आरंभ होगा. गणेश उत्सव, गणपति बप्पा मोरया के जयघोष के साथ आरंभ होता है और दस दिनों तक यह जयघोष कानों को सुनाई देता है. अगले वर्ष फिर आने की कामना के साथ 10 दिन बाद यानि अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन करने की पंरपरा है. गणेश चतुर्थी का पर्व तीन चरणों में मनाया जाता है, पहला चरण में गणेश जी का आगमन होता है यानि गणेश जी को घर पर लाया जाता है, इसके बाद भगवान गणेश जी की स्थापना की जाती है. गणेश जी की स्थापना विधि पूर्वक करनी चाहिए और दस दिनों तक विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए. तीसरे चरण में गणेश जी का विसर्जन किया जाता है.


शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार गुरुवार 9 सितंबर 2021 को चतुर्थी तिथि रात्रि 12 बजकर 18 मिनट से आरंभ होगी, जो 10 सितंबर 2021 की रात 9 बजकर 57 मिनट तक रहेगी. गणेश जी की मूर्ति स्थापना का मुहूर्त शुक्रवार सुबह सूर्योदय से पूरा दिन बना हुआ है.


गणेश चतुर्थी 2021



  • गणेश चतुर्थी- 10 सितंबर, 2021

  • मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त- प्रातः 11:03 से दोपहर 01:32 बजे तक

  • चतुर्थी तिथि शुरू- 10 सितंबर 2021, को दोपहर 12:18 बजे

  • चतुर्थी तिथि समाप्त- 10 सितंबर 2021, को रात 09:57 बजे

  • गणेश महोत्सव आरंभ- 10 सितंबर, 2021

  • गणेश महोत्सव समापन- 19 सितंबर, 2021

  • गणेश विसर्जन- 19 सितंबर 2021, रविवार


गणेश जी का मंत्र क्या है?



  • ॐ गं गणपतये नमः

  • श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥

  • ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।


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