Hanuman Garhi Temple: 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी. अयोध्‍या में इसकी तैयारियां जोर-शोर पर हैं. हर किसी की नजरें अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर पर हैं. अयोध्या को मंदिर और मूर्तियों का शहर कहा जाता है. यहां लगभग 8000 मठ-मंदिर हैं जिनकी अलग-अलग परंपरा और मान्यताएं हैं. इनमें सबसे प्रसिद्ध पवन पुत्र बजरंगबली का मंदिर है. इस प्राचीन मंदिर का नाम है हनुमानगढ़ी. इस मंदिर के दर्शन के बिना रामलला का दर्शन अधूरा माना जाता है. 


भगवान राम ने हनुमान जी को दिया था ये मंदिर 


इस मंदिर के बारे में कई मान्यताएं प्रचलित हैं. माना जाता है कि भगवान राम ने लंका से लौटने के बाद अपने प्रिय भक्‍त हनुमान को यह स्थान रहने के लिए दिया था. इसलिए अयोध्‍या में आने से पहले हनुमागढ़ी में विराजमान हनुमान जी के दर्शन करने चाहिए. अथर्ववेद के अनुसार भगवान राम हनुमान जी को यह मंदिर देते हुए कहा था कि जब भी कोई भक्‍त अयोध्‍या आएगा तब वो सबसे पहले हनुमान जी के दर्शन करेगा. माना जाता है कि हनुमान जी यहां हर वक्त मौजूद रहते हैं.



ऊंचे टीले पर स्थित है हनुमानगढ़ी


अयोध्‍या शहर के बीचोबीच बना हनुमान जी का ये मंदिर राजद्वार के सामने ऊंचे टीले पर स्थित है. हनुमानगढ़ी को भगवान बजरंगबली का घर कहा जाता है. इस मंदिर के चारों तरफ साधु-संतों का निवास है. इस मंदिर की स्थापना 300 साल पहले स्वामी अभयारामदासजी के निर्देश में सिराजुद्दौला ने की थी. हनुमानगढ़ी के दक्षिण में सुग्रीव टीला औक अंगद टीला  हैं. 


ऐसी मान्यता है कि भगवान राम के आदेश पर आज भी हनुमान जी अयोध्या का कार्यभार संभालते हैं.  यह मंदिर अयोध्या की सरयू नदी के दाहिने तट पर ऊंचे टीले पर स्थित है. मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 76 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं. इस मंदिर की सभी दीवारों पर हनुमान चालीसा और चौपाइयां लिखी हुई हैं.


हनुमानगढ़ी में पूरी होती है मनोकामना


हनुमान गढ़ी में हनुमान जी की प्रतिमा दक्षिण मुखी है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां दर्शन करने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है. यहां आकर हनुमान जी को लाल चोला चढ़ाने से सभी तरह के दोषों से मुक्ति मिलती है.  हनुमान जी की कृपा से जीवन में समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि अयोध्या की सरयू नदी में पाप धोने से पहले लोगों को भगवान हनुमान से आज्ञा लेनी पड़ती है. 


हनुमानगढ़ी में है हनुमान निशान 


हनुमानगढ़ी मंदिर में एक विशेष ‘हनुमान निशान' है. यह चार मीटर चौड़ा और आठ मीटर लंबा ध्वज है. यह निशान लंका से विजय का प्रतीक है. इसके साथ ही एक गदा और एक त्रिशूल भी है. परंपरा के अनुसार किसी भी शुभ कार्य से पहले राम जन्‍म‍भूमि स्‍थल में हनुमान निशान ले जाता जाता है. करीब 20 लोग हनुमानगढ़ी से रामजन्मभूमि स्थल पर इसे ले जाते हैं और सबसे पहले उसकी पूजा की जाती है. 


हनुमानगढ़ी की गुप्त पूजा 


अयोध्या के सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी मंदिर में एक गुप्त पूजा भी की जाती है और इससका रहस्य भी गुप्त होता है. यह पूजा सुबह 3 बजे शुरू की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि इस पूजा के दौरान बजरंगबली पुजारियों को साक्षात दर्शन भी देते हैं. इस पूजा में 8 पुजारी सम्मिलित होते हैं. इसमें श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति नहीं होती है. इस पूजा के बारे में कोई भी पुजारी मंदिर परिसर के बाहर किसी से नहीं बताते हैं और ना ही किसी से इस विषय पर कोई चर्चा करते हैं.



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