Gayatri Mantra: हिंदू धर्म में मंत्रों के जाप का विशेष महत्व माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार मंत्रों में किसी भी कार्य को सिद्ध करने की अपार शक्ति होती है. सभी मंत्रों में गायत्री मंत्र को बेहद शक्तिशाली और प्रभावशाली माना जाता है. इस मंत्र के जाप से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है. गायत्री मंत्र के जाप से जीवन में खुशहाली आती है.


इस मंत्र का प्रयोग हर क्षेत्र में लाभकारी माना गया है. विधि पूर्वक गायत्री मंत्र का जाप करने से जीवन का कल्याण होता है. यह मंत्र रोग और शत्रुओं पर विजय दिलाता है. हालांकि गायत्री मंत्र जाप करने के कुछ नियम भी हैं. जानते हैं गायत्री मंत्र का जाप करने से क्या लाभ मिलता है और इससे जुड़े नियमों के बारे में.


गायत्री मंत्र के लाभ



ऊँ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।


शास्त्रों में गायत्री मंत्र को बहुत प्रभावशाली माना गया है. गायत्री मंत्र के प्रभाव से काम,क्रोध,मद, दुर्भाव,लोभ, द्वेष और अहंकार दूर होता है. यह मंत्र आध्यात्मिक उन्नति कराता है. नियमपूर्वक इस मंत्र का जाप करने से हर तरह के कष्ट प्रभावहीन हो जाते हैं. इसका प्रयोग हर क्षेत्र में सफलता के लिए सिद्ध माना गया है. इस मंत्र का जाप करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. गायत्री मंत्र के जाप से नौकरी या बिजनेस में चल रही परेशानियां दूर हो जाती हैं.


खास बात यह है कि इस मंत्र के जाप के लिए किसी विशेष समय की आवश्यकता नहीं होती है. रोगों से मुक्ति पाने के लिए गायत्री मंत्र का जाप अचूक माना गया है. जाप से पहले शुभ मुहूर्त में एक कांसे के पात्र में जल भरें. इसके बाद लाल आसन पर बैठ जाएं और गायत्री मंत्र के साथ ऐं ह्रीं क्लीं का संपुट लगाकर गायंत्री मंत्र का जाप करें. मंत्र जाप के बाद पात्र में भरे जल का सेवन करें. इससे किसी भी रोग से छुटकारा मिल जाएगा.


इस पहर में करें गायत्री मंत्र का जाप


गायत्री मंत्र का जाप तीन पहर में करना ज्यादा असरदार माना जाता है. गायत्री मंत्र जाप का पहला समय सूर्योदय से थोड़ी देर पहले शुरू होकर सूर्योदय के थोड़ी देर बाद तक का है. इस मंत्र का जाप दोपहर के समय भी किया जा सकता है. जबकि तीसरा समय सूर्यास्त से ठीक पहले का है. इस मंत्र का जाप सूर्यास्त से पहले शुरू कर सूर्यास्त के थोड़ी देर बाद तक करना चाहिए.


गायत्री मंत्र के नियम


गायत्री मंत्र का जाप किसी गुरु के मार्गदर्शन में ही करना उत्तम होता है. इस मंत्र के जाप के लिए स्नान के साथ मन और आचरण भी पवित्र होना चाहिए. स्नान के बाद साफ और सूती वस्त्र पहनें. कुश या चटाई के आसन पर बैठकर इस मंत्र का जाप करना चाहिए. इस मंत्र के जाप के लिए तुलसी या चन्दन की माला का प्रयोग करना चाहिए. 


अगर आप इस मंत्र का जाप ब्रह्म मुहूर्त में कर रहे हैं तो पूर्व दिशा की ओर मुख करके इसका जाप करें और अगर इसका जाप शाम को कर रहे हैं तो पश्चिम दिशा में मुख कर जाप करें. गायत्री मंत्र का मानसिक जाप किसी भी समय किया जा सकता है.


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