14 जनवरी 2023 तक तांबे के गिलास में न पिएं पानी, इसके पीछे क्या है मान्यता, आप भी जान लें
Kharmas 2022: हिंदू धर्म में हर माह के लिए दैनिक दिनचर्या के बारे में बताया गया है. हिंदू धर्म में खरमास का विशेष महत्व बताया है. खरमास लग चुका है. इस माह में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? जानें.
Kharmas 2022: हिंदू धर्म में प्रत्येक शुभ कार्य के लिए मुहूर्त पर विशेष बल दिया गया है. मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में किए गर्य कार्य फलित होते हैं और उनका पुण्य लंबे समय तक प्राप्त होता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर मास का अपना विशेष महत्व है. पौराणिक ग्रंथों में इन मास में दैनिक दिनचर्या,पूजा पाठ, खानपान आदि के बारे में बताया गया है.
खरमास लग चुका है. हिंदू धार्मिक ग्रंथों में खरमाास के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है. खरमास के दौरान क्या करें, क्या नहीं, कब से कब तक खरमास रहेगा, इसमें क्यों नहीं होंगे मांलिक कार्य, किन चीजों का नहीं करना चाहिए? इस माह के विशेष उपाय आदि पर बता रहे हैं पंडित सुरेश श्रीमाली.
‘‘यास्मिन मासे न सक्रान्ति सक्रान्ति तवःनेववाम मल मास स विकेय सर्वकार्य व्रजेंषु.’’
यानि जिस मास में सक्रान्ति नहीं आती हो उस मास में सर्वकार्यषु वर्जित. सभी प्रकार के शुभ कार्य वर्जित है.
हर मास में एक बार संक्रांति होती है यानी जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं. 12 माह में 12 राशियों में सूर्यदेव प्रवेश करते हैं. ऐसे ही जब सूर्य बृहस्पति की राशि धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तो खरमास लगता है, खरमास को मलमास नाम से भी जाना जाता है. ऐसी स्थिति में शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है. इस साल धनु संक्रांति 16 दिसंबर 2022 को पड़ी थी. इस दिन सूर्य धनु राशि में आए थे. 14 जनवरी 2023 को मकर राशि में सूर्य के प्रवेश करते ही खरमास समाप्त हो जाएगा.
शुभ कार्य बंद होंगे, जानें क्यों?
देवगुरु बृहस्पति धनु राशि के स्वामी हैं. अपने ही गुरु की राशि में प्रवेश किसी भी देवग्रह के लिए अच्छा नहीं माना जाता है. वहीं नवग्रहों के राजा सूर्य के देवगुरु की राशि में जानें से सूर्य कमजोर पड़ जाते है. सूर्य के इस राशि में कमजोर होने के कारण ही इसे मलमास कहते हैं. वहीं यह भी कहा जाता है कि कमजोर होने के कारण खरमास में सूर्य का स्वभाव उग्र हो जाता है. जबकि सूर्य के कमजोर स्थिति में होने के कारण ही इस महीने के दौरान शुभ कार्यों पर पाबंदी लग जाती है.
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मलमास में क्या करें विशेष
इस माह में भगवान की आराधना करें. सुबह सूर्योदय के पहले उठकर नित्यकर्म करके भगवान का स्मरण करें. श्रीमद्भागवत गीता में पुरुषोत्तम मास का महामात्य, श्रीराम कथा वाचन, विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र पाठ का वाचन और गीता के पुरुषोत्तम नाम के 14वें अध्याय का नित्य अर्थ सहित पाठ करना करें और अगर यह सब नहीं कर सकते हैं तो भगवान के ‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादशाक्षर मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करने से भी पुण्य फलों की प्राप्ति होगी.
मलमास में जप, तप, तीर्थ यात्रा, करने का महत्व होता है. साथ ही दान-पुण्य के काम करें. इस मास में तीर्थों, घरों व मंदिरों की साफ सफाई करें. भगवान की कृपा से देश तथा विश्व का मंगल हो. गो-ब्राह्मण तथा धर्म की रक्षा हो, ऐसी प्रार्थना करते हुए ईश्वर का स्मरण करें. मंदिरों में दीपदान और ध्वजा अर्पित करें.
मलमास में क्या नहीं करना चाहिए
इस समय विवाह नहीं करना चाहिए. अगर विवाह किया जाए तो न तो भावनात्मक सुख मिलेगा और न ही शारीरिक सुख. पति-पत्नी के बीच अनबन रहेगी और घर में सुख-शांत का वास भी नहीं रहेगा. कोई नया बिजनेस या नए कार्य की शुरूआत न करें, क्योंकि मलमास में नया बिजनेस आरम्भ करना आर्थिक मुश्किलें देता है. इसलिए नया काम, नई नौकरी या बड़ा निवेश करने से बचें.
मांगलिक कार्य जैसे कि कर्णवेध, यज्ञोपवित संस्कार और मुंडन भी नहीं करने चाहिए, क्योंकि इस दौरान किए गए कार्यों से रिश्ते खराब होने की सम्भावना ज्यादा होती है. वहीं खरमास के दौरान कोई नई चीज जैसे वाहन, घर, प्लाट, आभूषण आदि बिल्कुल नहीं खरीदना चाहिए. इससे बुरा असर पड़ता है. इस मास में बनाए गए घर में रहने से कभी भी सुख-समृद्धि नहीं मिलती है. मलमास में भौतिक जीवन से संबंधित कार्य करने की मना ही है. हालांकि जो कार्य पूर्व निश्चित हैं, वे पूरे किए जा सकते हैं.
खरमास में तांबे के बर्तन में रखे हुए भोजन या फिर पानी का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए. क्योंकि इसका असर सेहत पर बुरा पड़ता है. इस समय तामसिक भोजन, लहसुन, प्याज, नॉनवेज, शराब, गाजर, मूली, तेल, चावल, तिल, बथुआ, मूंग, सोंठ और आंवला का भी सेवन नहीं करना चाहिए.
इन उपायों से हर समस्या दूर करें
इस मास में भगवान विष्णु की पूजा, मंत्र जप एवं दान आदि करने से संकट दूर होकर सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस पावन मास में भगवान विष्णु के हाथों में रहने वाले शंख के पूजन और दीपदान से न सिर्फ भगवान विष्णु की बल्कि उनके साथ माता लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है और इन दोनों देवी-देवता के आशीर्वाद से घर धन-धान्य से हमेशा भरा रहता है-
- प्रतिदिन सुबह हल्दी मिला
- हुआ जल ऊँ घृणि सूर्याय नमः मंत्र का जाप करते हुए सूर्यदेव को अर्पित करें. संभव हो तो रविवार को व्रत जरूर रखें व गुड़ का दान करें.
किसी विशेष कार्य की सफलता के लिए मलमास के दौरान प्रतिदिन भगवान विष्णु को केसर मिश्रित दूध दक्षिणावर्ती शंख में डालकर अर्पित करें. - शीघ्र कर्ज से छुटकारा पाने के लिये मलमास में प्रत्येक शनिवार सुबह स्नान के बाद पीपल के पेड़ में अर्पित कर तेल का दीपक जलायें.
- किसी भी प्रकार की परेशानियों से छुटकारा पाने के लिये मलमास में रोजाना विष्णु सहस्त्रनाम् का पाठ करें.
- अगर आपको अपने कामकाज या फिर नौकरी और प्रमोशन अटक गया है, तो मलमास के प्रत्येक शुक्रवार एवं एकादशी के दिन पांच कन्याओं को भोजन कराएँ. भोजन में खीर जरूर होनी चाहिए.
- अगर आप टेंशन-डिप्रेशन में या फिर मन किसी बात को लेकर उलझा हुआ है तो संभव हो तो किसी भी धार्मिक स्थल की यात्रा करें. रोजाना भगवान विष्णु का ध्यान और पूजा जरूर करें.
- अपनी धन-सम्पदा में वृद्धि चाहते हैं, तो मलमास में रोजाना भगवान विष्णु के साथ-साथ माता महालक्ष्मी की भी उपासना करें. साथ ही श्रीं हृीं श्रीं मंत्र का एक माला जाप करें.
- अपने दाम्पत्य संबंधों को मजबूत बनाये रखने के लिए एकादशी को सवा किलो चावल पीले कपड़े में बाँधकर भगवान विष्णु के मंदिर में दान कर दें.
- परिवार में सुख-शांति बनाये रखने के लिये मलमास के दौरान रोज सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु के सामने हाथ जोड़कर गायत्री मंत्र का पाठ करें.
- इस महीनें में दान-पुण्य करने का फल अक्षय होता है. मलमास में किया गया दान अनन्त फलदायक सिद्ध होता है.
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