दिल्ली में वोटों की गिनती जारी है. दिल्ली विधानसभा के अभी तक के रुझानों से मुकाबला रोमांचक हो गया है. ताजा रुझान आप यानि अरविंद केजरीवाल के लिए अच्छे नहीं हैं. हालांकि टक्कर कांटे की मानी जा रही है. अरविंद केजरीवाल की पार्टी का जिस तरह से प्रर्दशन दिखाई दे रहा है उससे लोगों का मानना है कि कुछ सीटों पर 'आप' ने चुनाव लूज किया है. इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं, ज्योतिष से समझते हैं.

पहले बात करते हैं कि दिल्ली की कुंडली पर. दिल्ली की कुंडली 1 फरवरी 1992 की मध्य रात्रि की है. जिसके आधार पर तुला लग्न की कुंडली बनती है. वर्तमान समय मे चंद्रमा की दशा चल रही है. दिल्ली की कुंडली का तीसरा भाव बेहद खास है, जहां पर चार ग्रह- राहु, चंद्रमा, मंगल और शुक्र ग्रह विराजमान है. चौथा घर जो जनता का भी कारक है, वहां पर तीन ग्रह शनि, बुध और सूर्य ग्रह गोचर कर रहे हैं. एकादश भाव में गुरु स्थित हैं. नवम भाव में केतु विराजमान हैं. कुंडली के इस भाव को धर्म का भी भाव माना जाता है. वर्तमान समय 20 सितंबर 2025 तक चंद्रमा की दशा रहेगी.

अरविंद केजरीवाल की कुंडली क्या कहती है?

अब बात करते हैं अरविंद केजरीवाल की कुंडली की. अरविंद केजरीवाल की कुंडली 16 अगस्त 1968, प्रात: 00:30 की है. अरविंद केजरीवाल की कुंडली वृषभ लग्न की है. इनकी कुंडली के तृतीय भाव में सूर्य मंगल, चतुर्थ भाव में शुक्र बुध बृहस्पति, पंचम भाव में केतु, एकादश भाव में राहु, द्वादश भाव में शनि तथा चंद्रमा है.

शनि की साढ़ेसाती ने बिगाड़ दिया खेल!

अरविंद केजरीवाल की कुंडली में 29 मार्च 2025 से शनि की साढ़ेसाती आरंभ होने जा रही है. जिसका प्रभाव धीरे-धीरे आरंभ हो चुका है. शनि की साढ़ेसाती अरविंद केजरीवाल के लिए शुभ नहीं है. बल्कि बड़े कष्टों की तरफ इशारा कर रही है. ज्योतिष में शनि जनता का कारक है, वोटरों में ये कमोजर, दलित वर्ग के वोटों का भी प्रतिनिधित्व करता है. दिल्ली में ये वोटर अभी तक आप पार्टी के सबसे समर्थक माने जाते थे. लेकिन शनि की बदलती स्थिति में इस वोटर का रुझान आप पार्टी के प्रति कम होता दिख रहा है. वहीं चंद्रमा की स्तिति भी अनकुल नहीं दिख रही है. चंद्रमा महिला मतदाताओं का कारक माना जाता है. इस बार लगता है कि दिल्ली की महिला मतदाताओं ने भी आप पार्टी को कम महत्व दिया है.

अरविंद केजरीवाल के लिए आने वाला समय कैसा रहेगा?

आने वाला समय अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के लिए अच्छा नहीं है. इस दौरान पार्टी और संगठन के नेताओं के बीच अंदरुनी मतभेद उभर सकते हैं. पार्टी को संभालने के लिए अरविंद केजरीवाल को अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है. 2026 के मध्य में अरविंद केजरीवाल की परेशानियां काफी हद तक कम हो सकती हैं.

यह भी पढ़ें- Delhi Elections 2025 Result: दिल्ली विधान सभा चुनाव में इस बार केजरीवाल या मोदी, किसका पलड़ा रहेगा भारी! ज्योतिषी ने कर दी बड़ी भविष्यवाणी