भारत के महान दार्शनिक आचार्य चाणक्य ने चन्द्रगुप्त को राजा बनाकर अखंड भारत का निर्माण किया है. यह विश्व का अनूठा उदाहरण है. अपनी तीव्र मेधा से उन्होंने जीवन को सुखमय बनाने के लिए अपनी नीतियां बनाई हैं जो आज भी प्रासंगिक हैं. आचार्य चाणक्य का कहना है कि जीवन के लिए धन, धर्म, सुरक्षा, शुद्ध पेयजल और स्वास्थ्य की सुविधाएं जिस स्थान पर हो वहीं निवास करना चाहिए.
धनिक: श्रोत्रियो राजा नदी वैद्यस्तु पंचम:। पंच यत्र न विद्यन्ते तत्र दिवसं न वसेत्।।
अर्थ - जहां धनी, श्रोत्रिय (वेदों का ज्ञाता), राजा, नदी और वैद्यराज न हों, वहां एक दिन भी निवास नहीं करना चाहिए.
इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने निवास स्थान के लिए 5 अनिवार्यताएं बताई हैं, वह है-
1 धनवान व्यक्ति: जिस स्थान पर धनी व्यक्ति रहता है, वहां व्यवसाय की स्थिति अच्छी होती है. धनी व्यक्ति के आसपास रहने वाले लोगों के लिए बेहतर रोजगार की संभावनाएं रहती हैं. इसके अलावा कठिन समय में आपको ऋण भी उपलब्ध हो सकता है.
2 श्रोत्रिय या विद्वान : जिस स्थान पर कोई ज्ञानी हो, वेद जानने वाला व्यक्ति हो, वहाँ का परिवेश धार्मिक होता है. लोग बुराई की तरफ नहीं जाते हैं. लोगों को सहज धर्म लाभ होता है. इससे विश्वास का वातावरण निर्मित होता है.
3 राजा याने शासक : जहां राजा या शासकीय व्यवस्था से संबंधित व्यक्ति रहता है, वहां रहने से हमें शासन की सभी योजनाओं का लाभ प्राप्त होता है तथा बिना कहे सुरक्षा और सम्मान मिलता है.
4 नदी : जल ही जीवन है. मनुष्य का विकास ही नदी के किनारे हुआ है. शुद्धपेय जल जीवन की प्राथमिक अवश्यकता है. इसलिए जिस स्थान पर पवित्र नदी बहती हो, जहां पानी पर्याप्त मात्रा में हो, वहां रहने से प्रकृति के समस्त लाभ प्राप्त होते हैं.
5 वैद्य या चिकित्सक : जिस स्थान पर वैद्य हों, चिकित्सा विज्ञान के जानकार हो वहां रहने से बीमारियों से तुरंत मुक्ति मिल जाती है. अचानक आवश्यकता होने पर समय पर इलाज मिल सकता है.