Chandra Grahan 2026 Date: ग्रहण लगना एक खगोलीय घटना मानी जाती है. हालांकि ज्योतिष और धर्म में भी सूर्य और चंद्र ग्रहण का उल्लेख मिलता है.
विज्ञान के अनुसार चंद्र ग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आ जाते हैं, जिससे कि पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है और चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी के पीछे होता है.
चंद्र ग्रहण आमतौर पर पूर्णिमा (पूर्ण चंद्र) की रात को ही लगता है. साल 2026 में कब और कितने चंद्र ग्रहण लगेंगे. इनमें से कौन सा चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा और क्या यहां सूतक मान्य होगा. आइये जानते हैं 2026 में लगने वाले चंद्र ग्रहण से जुड़ी सारी जानकारी.
2026 में लगेंगे दो चंद्र ग्रहण
2026 में कुल दो चंद्र ग्रहण लगेंगे, जिसमें पहला चंद्र ग्रहण मार्च के महीने में और दूसरा अगस्त के महीने में लगेगा. इसमें एक पूर्ण और दूसरा आंशिक चंद्र ग्रहण होगा. आइये जानते हैं चंद्र ग्रहण की तिथि और सूतक के बारे में.
पहला चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse 2026)- 2026 का पहला चंद्र ग्रहण मंगलवार 3 मार्च को होगा. यह खण्डग्रास चंद्र ग्रहण होगा. पंचाग के अनुसार इस दिन फाल्गुन पूर्णिमा रहेगा. भारतीय समयानुसार ग्रहण की शुरुआत शाम 6 बजकर 26 मिनट पर होगी और 06 बजकर 46 मिनट पर समाप्त हो जाएगा.
ग्रहण की कुल अवधि 20 मिनट 28 सेकंड की होगी. इस ग्रहण को एशिया, ऑस्ट्रेलिया और उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिका जैसे देशों में देखा जा सकेगा. भारत में दिखाई देने के कारण चंद्र ग्रहण का सूतक भी यहां मान्य होगा. सूतक सुबह 09 बजकर 39 मिनट से शुरू हो जाएगा और शाम 06 बजकर 46 मिनट पर समाप्त हो जाएगा.
दूसरा चंद्र ग्रहण- साल 2026 का दूसरा चंद्र ग्रहण शुक्रवार 28 अगस्त 2026 को लगेगा. हालांकि यह ग्रहण भारत में नहीं देखा जा सकेगा. इसलिए यहां इसका सूतक भी मान्य नहीं होगा. यह चंद्र ग्रहण उत्तर और दक्षिण अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका जैसे जगहों पर देखा जा सकेगा.
चन्द्र ग्रहण और सूतक (Sutak 2026)
हिन्दू धर्म में चंद्र ग्रहण को एक विशेष धार्मिक घटना माना जाता है. जब चंद्र ग्रहण नग्न आंखों से स्पष्ट दृष्टिगत न हो तो उसका धार्मिक महत्व नहीं होता है और ना ही सूतक मान्य होता है. लेकिन जब ग्रहण दृश्यमान होता है तो सूतक के नियमों का पालन करना होता है.
बता दें कि चंद्र ग्रहण लगने के 9 घंटे पहले ही सूतक लग जाता है. सूतक ऐसी समयावधि को कहते हैं, जिसमें भोजन, पूजन, शयन, अध्ययन या मनोरंजन आदि जैसी कुछ गतिविधियां वर्जित होती हैं. सूतक के दौरान अधिकांश मंदिरों में पूजा-पाठ भी नहीं किए जाते.
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