Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य का लिखा नीति शास्त्र समाज कल्याण की कई अवधारणाओं को दिशा देता है. इसी पुस्तक में चाणक्य ने कुछ ऐसी बातों से सतर्क रहने का भी संदेश दिया है, जिनसे कोई भी बड़ा से बड़ा या ताकतवर व्यक्ति पल भर में अपने अंत तक पहुंच सकता है. आग, पानी, मूर्ख व्यक्ति, सांप और राज परिवार. इनसे टकराव हमेशा की घातक रहा है. आइए जानते हैं इनका जीवन पर कैसे पड़ सकता है दुष्प्रभाव.



आग  
चाणक्य के मुताबिक किसी व्यक्ति को कभी आग से नहीं खेलना चाहिए, क्योंकि जान पर भारी पड़ने के साथ अशुभ फलदायक हो सकता है. आग पल भर में ही किसी चीज को राख कर सकती है.


मूर्ख या उतावला व्यक्ति 
चाणक्य मानते हैं कि धरती पर अन्न, जल और मीठे वचन, ये तीनों चीजें वास्तविक रत्न हैं मगर मूर्ख लोग पत्थर के टुकड़ों को रत्न मान बैठते हैं. इसलिए रत्न और धन-दौलत के लिए लालची लोगों का साथ जानलेवा हो सकता है. इसी तरह व्यक्ति का उतावलापन भी उसके लिए घातक हो सकता है. व्यक्ति के कर्म सदा पीछे चलते हैं, इसलिए मूर्ख से बेहद सावधान रहना चाहिए.


पानी 
हकीकत तो ये है कि पानी बिना जीवन संभव ही नहीं है, मनुष्य ही नहीं हर जीव-जंतु को जिंदा रहना है तो पानी चाहिए ही होगा. मगर कई बार यही पानी जानलेवा भी हो सकता है. आपको तैरना नहीं आता है और नदी-तालाब या कुएं में गिर गए हैं तो पल भर में जान जा सकती है. बाढ़ में फंस गए हों या अतिवृष्टि की चपेट में हों, प्रयास करें कि पानी से दूर सुरक्षित जगह पहुंच जाएं.


सांप 
चाणक्य कहते हैं कि सांप की प्रवृत्ति अचानक हमले की होती हैं, ये मनुष्य के संदर्भ में अवसरवादी सोच का परिचायक है. इसलिए ऐसे व्यक्तित्व और सांप से भी सावधान रहने की जरूरत होती है. इनके दंश से मृत्यु का संकट बना रहता है.


राज परिवार या सत्ताधीश
आचार्य चाणक्य के मुताबिक कभी भी राज परिवार-सत्ता से सीधे बैर नहीं पालना चाहिए, क्योंकि ये पल भर में आपका सबकुछ नष्ट कर सकते हैं. प्रयास करें कि इनसे मर्यादित दूरी और सम्मान बनाए रखें. ऐसा करने वाले हमेशा सफलता के द्वार तक पहुंचते हैं.


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