Disease And Astrology : मनुष्य के शरीर में कई शक्तियां हैं. किस ग्रह के कोप से कौन सा रोग होता है और ग्रह को शांत करने के लिए कौन से उपाय होते हैं इस विषय को समझते हैं. जैसे दो नेत्रों पर सूर्य व चंद्र का आधिपत्य है. दो नथुनों पर बुध और शुक्र का आधिपत्य है. दो कानों पर शनि व मंगल का आधिपत्य है. वाणी पर गुरु का आधिपत्य है. उत्सर्जन अंगों पर राहु केतु का आधिपत्य है. इस प्रकार हमें स्पष्ट होता है कि मनुष्य के शरीर में कई शक्तियां हैं. किस ग्रह के कोप से कौन सा रोग होता है और ग्रह को शांत करने के लिए कौन से उपाय होते हैं इस विषय को समझते हैं.


आरोग्यता देने वाला सूर्य
ग्रहों के राजा सूर्य यदि कुंडली में प्रतिकूल प्रभाव देने वाली स्थिति में हो तो व्यक्ति आरोग्य नहीं होता है. सूर्य शरीर में  प्राण शक्ति, हृदय, नेत्र, दांत, हड्डी एवं पित्त को प्रभावित करता है. सूर्य ताप देने वाला ग्रह होता है यह फीवर का कारक भी होता है. यदि सूर्य कुपित हो जाए तो शरीर में कैल्शियम की कमी होने की प्रबल आशंका रहती है. जिसमें खास तौर पर डी-3 की मात्रा अकसर बहुत कम हो जाती है. वहीं व्यक्ति के दांतों की समस्याएं होने लगती है दांत पीले और गंदे रहने लगते हैं. नेत्र रोग भी कष्ट देने लगते हैं. हार्ट की बीमारी सूर्य की अधिक नाराजगी का फल होता है. जब भी सूर्य ग्रह प्रतिकूलता देते हैं तो देखा गया है कि पिता के साथ संबंध बिगड़ जाते हैं. पिता से वैचारिक मतभेद होते होते मन भेद तक स्थिति पहुंच जाती है.


उपाय
सर्वप्रथम सूर्य को प्रसन्न करने के लिए पिता का सम्मान करना अति आवश्यक होता है. पिता यदि किसी बात पर नाराज भी हो तो उनकी पूर्ण सम्मान करते हुए शांत रहना चाहिए. पिता की सेवा से सूर्य की नाराजगी कम होती है. प्रयास करना चाहिए कि पिता के सेवा करके उनको प्रसन्न रखें और घर से बाहर जाते समय उनके चरण स्पर्श करके निकलें.


प्रतिदिन उगते हुए सूर्य के समक्ष सूर्य नमस्कार करना चाहिए. यदि सूर्य नमस्कार संभव न हो तो सूर्य नारायण को तांबे के पात्र से जल का अर्घ्य दें. यदि लाल पुष्प की उपलब्धता हो तो वह भी जल में डाल सकते हैं.  


चंद्रमा- चंद्रमा यदि कुंडली में पीड़ित यानी खराब हो जाए तो सर्वप्रथम मन ही खराब हो जाता है. मन में भ्रम की स्थिति बनी रहती है. मन का विचलन इतना अधिक हो जाता है कि रक्तचाप सामान्य से ऊपर या नीचे रहने लगता है. रक्त चाप की समस्या की वजह से सिर दर्द और नींद न आने जैसी समस्या हो जाती है. चंद्र की नाराजगी का असर हृदय, शरीर का जल,  फेफड़ा, पेट, रक्त चाप, चेस्ट, कफ को प्रभावित करता है. जल्दी जल्दी ठंड लग जाना, आंखों से पानी आना, मनोरोग, निमोनिया, इस्नोफीलिया और कफ शरीर में अधिक बनने जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. जिन बच्चों का चंद्रमा बिगड़ा होता है उनको जल्दी जल्दी सर्दी जुकाम होता रहता है. जिसका असर माता के स्वास्थ्य तक भी पड़ सकता है.


उपाय
चंद्रमा को प्रसन्न करने के लिए मां का आशीर्वाद बहुत ही कारगर होता है. मां का दिल कभी नहीं दुखाना चाहिए क्योंकि मां के दुखी होने पर चंद्रमा कभी भी प्रसन्न नहीं हो सकता है. यदि संभव हो तो रात्रि में मां के पैरों को दबाना चाहिए. उनके साथ समय बिताने से चंद्रमा प्रसन्न होता है. चंदा मामा को प्रसन्न रखने के लिए अपने मामा को भी प्रसन्न रखना चाहिए. जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा अच्छा होता है उन लोगों के अपने मामा के साथ खूब बनती है.


यदि चंद्रमा को प्रसन्न करने के लिए पूर्णिमा की रात्रि को चंद्र दर्शन करके गाय के दूध और पानी मिलाकर अर्घ्य देने चाहिए. अर्घ्य देने के पश्चात चंद्र के समक्ष भाव के साथ खड़े होकर ज्योत्सना स्नान करना चाहिए.  सोमवार या पूर्णिमा का व्रत भी रख सकते हैं.


मंगल - कुज यानी मंगल शरीर में रक्त, मज्जा, शारीरिक शक्ति, मासिक धर्म, गर्भपात, साहस, कान, मस्तिष्क के तनाव को प्रभावित करता है. इसके अतिरिक्त मंगल के कोप के कारण ही सिर में पीड़ा, माइग्रेन, ब्रेन हेमरेज, उच्च रक्तचाप से ब्रेन में दिक्कत जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. मंगल की नाराजगी से एक्सीडेंट, अग्नि दुर्घटना के कारण शारीरिक कष्ट की आशंका रहती है. मंगल पीडित होने पर अक्सर रक्त संबंधित रोग भी हो जाते हैं. मंगल के बिगड़ने से भाई में आपसी प्रेम कटुता में बदल जाता है कभी कभी स्थितियां इतनी विपरीत हो जाती हैं कि भाई एक दूसरे को शारीरिक कष्ट देने पर भी आमादा हो जाते हैं.


उपाय
मंगल के कोप को समाप्त करने के लिए भक्ति भाव के साथ हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए. श्री हनुमान जी का कोप सीताराम का जाप करने से अति शीघ्र कम होता है. नियमित रूप से तुलसी की माला से कम से कम 108 बार सीता राम का जाप करना चाहिए. 


मंगल यदि कुंडली में सकारात्मक भावों के स्वामी हो किन्तु निर्बल हों तो विद्वान की सलाह पर मूंगा अनामिका में स्वर्ण या तांबे धातु की अंगूठी में धारण किया जा सकता है. गेहूं, गुड़, तांबा, स्वर्ण, मूंगा, लाल वस्त्र रक्त चंदन, मसूर आदि का दान करें. मंगलवार का व्रत करें.  


बुध- बुध शरीर में त्वचा, जीभ, श्वास नली, बांह, रीढ़ से मस्तिष्क में जाने वाली हड्डी, पित्त, स्मरण शक्ति और तंतुओं को प्रभावित करता है. बुध यदि पीड़ित हो तो व्यक्ति की चीजों को भूलने लगता है. भूलने की सामान्य समस्या वृहद रूप भी ले सकती है. बुध यदि मंगल सूर्य या राहु से पीड़ित हो तो त्वचा संबंधित रोग होते हैं. एलर्जी जैसी समस्याओं से त्वचा रोग होते हैं. पित्त की मात्रा भी बढ़ जाती है जिससे पित्त जनित रोग हो जाते हैं. बुध के अधिक पीड़ित होने पर मौसी या माता का स्वास्थ्य भी खराब हो सकता है.


उपाय
बुध को प्रसन्न करने के लिए श्रीविष्णु या श्रीकृष्ण की उपासना करनी चाहिए. विष्णु सहस्त्रनाम करने से अतिशीघ्र लाभ होता है. तुलसी के पौधे लगाने चाहिए. हरा वस्त्र, मूंग, घी, कांस्य पात्र दान करें.


बुध को प्रसन्न करने के लिए कलाकारों का सम्मान करना चाहिए. किन्नरों का आशीष भी बुध के कुप्रभावों में कमी लाता है.  


गुरु - गुरु की नाराजगी से होने वाले रोगों में मुख्य रूप से लीवर होता है. इसके अलावा मोटापा, रक्त में वसा की अत्यधिक मात्रा, पुराना कफ, हाथी पांव, किडनी, जीभ, दायां कान, मधुमेह एवं वात रोगों से गुरु परेशान करता है. गुरु की नाराजगी की वजह से लिवर फैटी हो जाता है. अधिक गरिष्ठ व अधिक मीठा भोजन करने से शारीरिक रोग गुरु बढ़ाते हैं. गुरु में नियमित दिनचर्या न होना भी रोगों का प्रमुख कारण बन जाता है.   


उपाय
पीला वस्त्र, हल्दी, शक्कर, चने की दाल दान करें. पुस्तकें दान करने से देव गुरु बृहस्पति प्रसन्न होते हैं. भगवान श्रीहरि की उपासना करने से भी गुरु का कोप कम होता है.  गुरुवार को पीले वस्त्र धारण करें. ग्रहों की अन्य स्थितियों को देखते हुए किसी विद्वान की सलाह पर पुखराज भी धारण किया जा सकता है. हाथी को भोजन कराने से भी गुरु शांत होते हैं.


वृद्ध की सेवा करना, शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए. गुरुजनों का आशीष गुरु के कोप में न्यूनता लाता है. गरीब बच्चों के लिए पढाई की व्यवस्था कराने से भी लाभ होता है.


शुक्र- पीड़ित  शुक्र  वंश वृद्धि में दिक्कत देता है। इसके अतिरिक्त गुप्त रोग, जननांग, आंखों से संबंधित रोगों भी परेशान करते हैं.  जिन लोगों को मधुमेह रोग होता है उनका शुक्र भी पीड़ित होता है।  


उपाय
सफेद चमकीला कपड़ा, चांदी, चावल, कपूर और श्वेत पुष्प दान करने से लाभ होता है. कन्या भोज कराकर देवियों का आशीष बहुत लाभकारी होता है.  विवाहित पुरुष पत्नी को प्रसन्न रखें उनकी शुभकामनाएं एवं सेवा से रोग जल्द ही ठीक होता है.


अधिक गंभीर रोग की स्थिति हो तो देवी मंदिर में देवी जाप करना चाहिए. इसके अतिरिक्त देवी जी को वस्त्र चढ़ाने चाहिए. अत्यधिक मीठा खाने से बचना चाहिए.


शनि- यह शरीर के  हड्डियों के जोड़, गठिया, लकवा, घुटने, पैर, शारीरिक पीड़ा, बालों की समस्या, थकान, कमजोरी, झुर्रियां, वायु विकार और वात को प्रभावित करता है. शनि मनुष्य को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं. रोग कोई भी हो लेकिन रोग में होने वाली पीड़ा शनि द्वारा ही दी जाती है. इसलिए शनि के कोप में मानसिक, शारीरिक दोनों स्तर पर बहुत पीड़ा होती है.  


उपाय
काला वस्त्र , तिल, कंबल, तिल का तेल, जूते, छाता आदि का दान करने से शनि शांत होते हैं. श्रमिक वर्ग के प्रति बहुत ही विनम्र भाव रखना चाहिए, यदि श्रमिक को कष्ट पहुंचाया गया तो शनि अधिक कुपित हो जाते हैं. गरीबों की मदद करना अनिवार्य होता है.


शारीरिक व्यायाम करना भी शनि को शांत करने का एक अच्छा उपाय है. बहुत अहंकार में रहने से भी शनि नाराज होते हैं. शनि की साढ़ेसाती को शांत करने के लिए पीपल के वृक्ष के नीचे तिल या सरसों के तेल का दीपक सूर्यास्त के बाद शनिवार को जलाना चाहिए.


राहु- यह त्वचा, कैंसर, रक्त तथा वात को प्रभावित करता है. राहु इंफेक्शन, खराब दांत, दांत में कीड़ा लगना, फूड प्वाइजनिंग, सेप्टीसीमिया, दुर्घटना से चोट, घाव का पकना आदि समस्याएं देता है. राहु किसी भी बीमारी को अचानक बढ़ाने का काम करता है. किसी भी प्रकार के इंफेक्शन से परेशान कर सकता है. वहीं शरीर के अंगों को सड़ाते हुए उसमें सेप्टिक या कैंसर जैसी खतरनाक समस्या उत्पन्न कर सकता है.


उपाय
ऊन का कंबल, काला वस्त्र, गोमेद, सरसों का तेल, पुराना लोहा दान दिया जा सकता है. कुत्तों को भोजन कराना भी राहु को शांत करता है. प्रत्येक रविवार को भैरव मंदिर में हवन सामग्री का दान करना चाहिए इससे राहु की आक्रामकता कम होती है.


किसी भी प्रकार का हवन करने से राहु शांत होता है. हवन और अभिषेक करना राहु के कोप में बहुत ही कारगर साबित होता है. संध्या करने से भी राहु बहुत प्रसन्न होते हैं. घरों में नियमित रूप से शाम को सूर्यास्त के समय धूप जलानी चाहिए.


केतु- केतु शरीर में पैर की खाल, पैर का पंजा, घबड़ाहट से रक्त को प्रभावित करता है. केतु एसिडिटी, अवसाद रोग देता है. केतु की वजह से शंका भी उत्पन्न होती है. जब केतु कुपित होता है तो व्यक्ति को लगता है कि उसको गंभीर बीमारी हो गई है वह मरने वाला इससे उसको उलझन होने लगती है.


उपाय 
केतु को शांत करने के लिए श्रीगणपति की उपासना सर्वोत्तम होती है. यदि प्रत्येक चतुर्थी को गणेश जी के मंदिर में उनके दर्शन किए जाए तो उत्तम रहता है. ग्रे वस्त्र, नारियल, झंडा दान करें.  गजानन की उपासना कुशा के आसन में बैठ कर करनी चाहिए.


जिन लोगों के यहां जनेऊ धारण करने की परम्परा हो उनको जनेऊ अवश्य धारण करना चाहिए.


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