घर सपनों का आशियाना होता है. सुख शांति और संपन्नता की इस चारदीवारी को पाने के लिए लोग असंख्य जतन करते हैं. सही जगह तलाशते हैं. वास्तु के नियमों को अपनाते हैं. सर्वप्रथम यह देखें की भूमि अत्यधिक पानी पीने वाली या बिलकुल पथरीली तो नहीं है. ऐसी भूमि पर बने घर में रहने वालों में अस्थिरता और अनिश्चिता बनी रहती है. दक्षिण मुखी मंगल और शुक्र बली लोगों को ही फलते हैं. ऐसे प्लॉट वाले मकानों में व्यापार व्यवसाय परिसर अधिक प्रभावी बन पड़ता है. यहां रहने वालो में बौद्धिक क्षमताओं से ज्यादा भरोसा बाहुबल पर होता है. ऐसे लोग साहसी होते हैं. लेकिन सतर्कता की कमी होती है. दक्षिण-पश्चिम की ओर ढलान वाले प्लॉट पर घर बनाने से पहले वाटर लेवल प्रॉपर करके ही निर्माण कार्य आरंभ करें. उत्तर एवं पूर्व दिशा का क्षेत्र पश्चिम और दक्षिण से उूंचा रहने पर वास्तु दोष आ जाता है. इससे घर मालिक विभिन्न विवादों में फंस सकता है. प्रमुख सड़क के किनारे रहने के लिए घर बनाने से बेहतर थोड़ा दूरी बनाकर घर बनाना. फार्म हाउस और विशाल भवन ही बहुत यातायात वाली सड़क पर बनाए जा सकते हैं. दो बड़े घरों के बीच तुलनात्मक रूप से बहुत संकरा प्लॉट हो तो उसे लेने से बचें. निर्माण आवश्यक ही हो तो आजू-बाजू के मकानों से ज्यादा उंचाई तक निर्माण करें. घर के लिए सिंह मुखी आकार के प्लॉट का चयन न करें. ऐसे भूक्षेत्र व्यावसायिक गतिविधियों और खरीदी-ब्रिकी के लिए अधिक शुभ होते हैं.