आज के दौर में बड़ी संख्या ऐसे युवाओं की है जो पढ़ाई या करियर बनाने के लिए विदेश जाना चाहते हैं. हालांकि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनका सपना कई वजहों से पूरा नहीं हो पाता. कभी दस्तावेजों की कमी, तो कभी पैसों की कमी आड़े आ जाती है. हम आपको बताते हैं कि कुंडली में विदेश यात्रा का योग किन परिस्थितियों में बनता है.

  • कुंडली में चौथा और बाहरवें घर या उनके स्वामियों का संबंध यानी उस घर में स्थित राशि के स्वामी से विदेश में स्थायी रूप से रहने का सबसे बड़ा योग बनता है. इस योग के साथ चतुर्थ भाव पर पाप ग्रहों का प्रभाव आवश्यक है. यानी उस घर में कोई भी पाप ग्रह स्थित हो या उसकी दृष्टि हो. इसके साथ ही कुंडली में अच्छी दशा होना भी जरूरी है.
  • सप्तम और बाहरवें भाव या उनके स्वामियों का परस्पर संबंध व्यक्ति को शादी के बाद विदेश लेकर जाता है.
  • पंचम और बाहरवें भाव के साथ उनके स्वामियों का संबंध शिक्षा के लिए विदेश जाने का योग बनाता है. इस योग में जातक पढ़ने के लिए विदेश जा सकता है.
  • दसवें और बाहरवें भाव या उनके स्वामियों का संबंध व्यक्ति को विदेश से व्यापार या नौकरी के अवसर देता है.
  • चतुर्थ और नवम भाव का संबंध जातक को पिता के व्यापार के कारण या पिता के धन की सहायता से विदेश ले जा सकता है.
  • नवम और बाहरवें भाव का संबंध व्यक्ति को व्यापार या धार्मिक यात्रा के लिए विदेश ले जा सकता है.
  • यदि चन्द्रमा कुंडली के बारहवें भाव में स्थित हो तो विदेश यात्रा या विदेश से जुड़कर आजीविका का योग होता है.
  • चन्द्रमा यदि कुंडली के छठे भाव में हो तो विदेश यात्रा योग बनता है.
  • राहु और चन्द्रमा का योग किसी भी भाव में हो जातक को अपनी दशा में विदेश या जन्म स्थान से दूर ले कर जा सकता है.

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