Kalsarp Yoga : संतान सुख में बाधा उत्पन्न कर सकता है कालसर्प योग, जानें किन उपायों को करने से मिलता है संतान सुख
Astrology : महादेव से की गई प्रार्थना से गूंजती है किलकारियां. नाग उपासना से शांत होते हैं कुप्रभाव. जाने किन उपायों को करने से हो सकती है संतान सुख से संबंधित बाधाएं दूर.

Astrology , Kalsarp Yoga : एक वैवाहिक जीवन तभी सफल होता है, जब उसमें सभी तरह की खुशियां विद्यमान हो. चाहे वह सुख-शांति से संबंधित हो या फिर धन संपत्ति से. इनमें से एक प्रमुख चीज है संतान. जिसके बिना वैवाहिक जीवन और परिवारिक सुख के कोई मायने ही नहीं है. संतानहीनता दांपत्य जीवन का दुखद पहलू है. कुंडली में पांचवा घर संतान का होता है अर्थात संतान सुख कुंडली में पांचवें भाव, पांचवे भाव के स्वामी एवं गुरु की स्थिति का आकलन गहराई से किया जाता है. जिस व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प योग का संबंध संतान के घर से हो जाता है उसको संतान सुख मिलने में बाधा आती है.
यह योग संतान सुख से वंचित रहने में अहम भूमिका अदा करता है. कालसर्प योग का प्रभाव शनि जैसे क्रूर ग्रह के प्रभाव से भी अधिक पीड़ादायक हो सकता है. आज हम आपको विस्तृत रूप से जानकारी देने जा रहे है कि कुंडली में किन दोषों और समस्याओं के कारण कभी-कभी कुछ लोगों को संतान सुख की प्राप्ति नहीं हो पाती. आइए जानते हैं -
- संतान कारक ग्रह गुरु, मंगल ग्रह के साथ हो या लग्न का स्वामी राहु ग्रह के साथ हो अथवा लग्न में राहु और सप्तम में केतु कालसर्प योग बना रहा हो तो संतान बाधा उत्पन्न हो सकती है. संतान भाव (पंचम भाव) में सूर्य, मंगल, शनि व राहु हो तो संतान में बाधा होती है.
- कर्क या धनु लग्न में संतान भाव में राहु ग्रह, बुध ग्रह के साथ हो या दृष्टि संबंध रखता हो अथवा संतान कारक ग्रह गुरु राहु के साथ हो तो संतान उत्पत्ति में बाधा होती है.
- संतान भाव अर्थात पंचम भाव में राहु कालसर्प योग बना रहा हो और उस पर शनि की दृष्टि पड़ रही हो, तो संतान प्राप्ति में बाधा उत्पन्न होती है.
- जन्मपत्रिका में राहु व गुरु की युति होने पर सर्प दोष से भी संतान बाधा होती है.
- जन्मपत्रिका में अष्टम भाव में शुक्र, गुरु एवं मंगल की युति हो तो भी संतान का अभाव होता है.
- जन्मपत्रिका में यदि कालसर्प योग का संबंध पंचम भाव या पंचम भाव के स्वामी से हो तो संतान सुख में बाधा आती है.
- जन्मकुंडली में पूर्ण कालसर्प योग हो या राहु पंचम भाव के स्वामी के साथ हो और पापी ग्रह पंचम भाव को देख रहे हों, तो भी व्यक्ति को संतान सुख प्राप्त नहीं होता है.
- जन्म कुंडली में कालसर्प योग होते हुए यदि पंचमेश यानी पंचम भाव का स्वामी छठे, आठवें या बारहवें भाव में हों और साथ ही पापी ग्रहों द्वारा देखे जा रहे हों तो संतान प्राप्त में दिक्कतें होती है.
संतान सुख प्राप्ति के लिए कारगर उपाय
जो दंपत्ति संतान सुख से वंचित हैं उनको यह उपाय इस समस्या के समाधान में सहायक हो सकते हैं. आइए जानते है किन उपायों से मिल सकता है संतान सुख -
- नाग पंचमी के दिन कालसर्प योग की शांति पूजा करनी चाहिए. इससे पूर्व जन्म कृत दोष मिट जाते हैं. प्रत्येक नागपंचमी को नाग उपासना करनी चाहिए.
- यदि किसी स्त्री की कुंडली इस योग से ग्रस्त हो, तो उसे नागपंचमी के दिन वट वृक्ष की 108 प्रदक्षिणा लगानी चाहिए.
- पति-पत्नी को नियमित रूप से सर्प-सूक्त का पाठ करना चाहिए.
- शिव मंदिर में तुलसी के पांच पौधे या पांच शिव मंदिरों में एक-एक बेल का पौधा लगाना घर में किलकारी की गूंज कराने में कारगर साबित हो सकता है.
- कालसर्प योग से ग्रसित दंपत्ति को पलाश के पुष्प को सुखाकर उसका चूर्ण बना लें और फिर एक चुटकी नहाने के पानी में डाल कर नहाना चाहिए. ऐसा करने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं और उनके आशीर्वाद से संतान बाधा समाप्त हो जाती है.
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