नई दिल्लीः अर्थराइटिस अब उम्र विशेष की बीमारी नहीं रही बल्कि आजकल अर्थराइटिस की समस्या हर उम्र के लोगों को हो रही है. अर्थराइटिस की परेशानी होने पर डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें.

ये दोष हैं जिम्मेदार-

  • शनि और बृहस्पति के कारण अर्थराइटिस की सबसे ज्यादा दिक्कतें होती हैं.
  • मंगल और शुक्र भी अर्थराइटिस की समस्या के उपकारक हैं.
  • शनि, मंगल, बृहस्पति और शुक्र के पीड़ित या दोषित होने की स्थिति में अर्थराइटिस की दिक्कतें होती हैं.
  • मंगल के कारण अर्थराइटिस की दिक्कत बढ़ सकती है.

ये ग्रह दे सकते हैं अर्थराइटिस का दर्द-

  • कटी-फटी रेखाएं आ रही हों तो इसका मतलब है कि आपकी हड्डियां बेहद कमजोर हैं.
  • रेखाएं अगर अंगूठे के नीचे से निकलकर जीवनरेखा को काटती हैं तो भी आपकी हड्डियां बेहद कमजोर हैं.
  • मंगल का हिस्सा दबा या अधिक मोटा होने पर आपकी हड्डियां बेहद कमजोर होंगी. इतना ही नहीं, विटामिन-डी और कैल्शियम की कमी हो सकती है.

हाथों की रेखाओं से जानिए अर्थराइटिस का हाल -

  • शनि का पर्वत अगर दबा हो तो ये अच्छी निशानी नहीं है. शनि का पर्वत अगर बृहस्पति या सूर्य की ओर हो तो ये भी अच्छी निशानी नहीं है. ऐसी स्थिति में लोगों के शरीर में वात की समस्या बनी रहती है. वात के कारण ऐसे लोगों को हड्डियों में भयंकर दर्द का सामना करना पड़ता है. लोगों की कमर, घुटने, उंगलिया आदि मे दर्द रहता है.
  • शनि उंगली का सूर्य की ओर झुकाव हो तो ये अच्छी निशानी नहीं है. ऐसी स्थिति में पित्त बढ़ने के कारण यूरिक एसिड की समस्या हो सकती है. साथ ही कफ के कारण शरीर में दर्द होनाशुरू हो जाएगा.
  • कई सारी खड़ी रेखाएं हों तो पेट के कारण हड्डियों में दर्द रह सकता है. मांसपेशियों में भी दिक्कतें हो सकती हैं, गैस अधिक बनने लगेगी.

ये हैं अर्थराइटिस के लक्षण-

  • अर्थराइटिस शरीर के किसी भी हिस्से की हड्डियों, मांसपेशियों और ऊतकों को प्रभावित कर सकता है.
  • अर्थराइटिस दिमाग और दिल को भी प्रभावित करती सकता है.
  • अर्थराइटिस की दिक्कत अगर चरम पर हो तो रोग का ठीक होता असंभव है.
  • अर्थराइटिस के कारण जोड़ों में बहुत दर्द रहता है.
  • अर्थराइटिस के कारण शरीर धीरे-धीरे सख्त होता चला जाता है.
  • यूरिक एसिड बढ़ने से जोड़े काम करना बंद कर देते हैं.
  • हड्डियां और हाथ-पैर टेढ़े-मेढ़े होने लगते हैं और चलना-फिरना तक मुश्किल हो जाता है.
  • अर्थराइटिस में जोड़ों का दर्द होता है, जोड़ों का क्षय होना प्रारंभ हो जाता है.
  • पैर शरीर का बोझ नहीं उठा पाते हैं, अर्थराइटिस बढ़ने पर जोड़ों में सूजन आनी शुरू हो जाती है
  • उंगलियों की गांठों को छूने पर हल्का दर्द सा महसूस होता है.
  • लिगामेंट्स थोड़े से सख्त होने लगते हैं.
  • लिगामेंट्स कमजोर होने की स्थिति में अंगों में दर्द बना रहेगा.
  • प्रोटीन या सीरम यूरिक एसिड अधिक होने के कारण आपका चलना-फिरना मुश्किल हो जाएगा
  • हाथों के नाखून अगर बैंगनी रंग के हो रहे हों तो सतर्क रहने का वक्त है.

ये हैं अर्थराइटिस से बचाने वाले महाउपाय -

  • अर्थराइटिस की समस्याओं से बचने के लिए तेजी से टहलना शुरू कर दें.
  • ठंडे फल खाने से बचें, हरी सब्जियां अधिक से अधिक खाएं.
  • नकली सब्जियों से सावधान रहें.
  • जंक फूड खाना छोड़ दें.
  • नर्वस होना और चिंताएं करना छोड़ दें.
  • वजन कम करना शुरू करें, दौड़-भाग करना शुरू करें.
  • अधिक काम करने के साथ आराम भी उतना ही आवश्यक है.
  • 6-7 घंटे आराम जरूर करें.
  • सुस्ती और आलस्य को हर हाल में छोड़ दें.
  • बहुत देर तक ना खड़े रहें, ना बहुत देर बैठें, ना बहुत देर सोएं, ना बहुत देर जागें.
  • पैरों को बहुत लटकाकर ना बैठें.
  • खुश रहना सीखें और अच्छी संगत और हंसमुख लोगों के बीच में रहें
  • जिनमें ऊर्जा कम होती हैं उन्हें अर्थराइटिस की समस्या का सामना करना पड़ता है.
  • अनुलोम विलोम करें.
  • गुड़ और शहद का सेवन जरूर करें.
  • तांबे से बनीं चीज धारण करें.
  • मंगल कमजोर होने पर काम का अधिक बोझ ना लें.

ये एक्सपर्ट के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.