Wheat Seeds: खरीफ की फसल कटने के बाद रबी क्रॉप की बुवाई शुरू हो गई है. किसान बाजार से गेहूं समेत अन्य फसलों के बीज खरीद रहे हैं. किसानों की कोशिश है कि ऐसा बीज बाजार में उपलब्ध हो, जिससे सिंचाई के लिए पानी कम लगे और पैदावार बंपर हो. पूसा रिसर्च इंस्टीटयूट भी ऐसी फसलों पर रिसर्च कर रहा है. लेकिन फिलहाल अच्छी खबर आईआईटी कानपुर से सामने आई है. यहां गेहूं की नई ऐसी प्रजाति बनाई गई है, जिसे बोने के बाद 35 दिनों तक पानी की जरूरत ही नहीं पडेगी.


गेहूं का नैनो कोटेड पार्टिकल सीड तैयार
आईआईटी कानपुर इंक्यूबेटेड कंपनी एलसीबी पफर्टिलाइजर ने गेहूं का नैनो कोटेड पार्टिकल सीड तैयार किया है. इस सीड की विशेषता यह है कि इसे एक बार बोने के बाद 35 दिनों तक पानी की जरूरत नहीं पड़ेगी. गर्मी अधिक पड रही है तो इस फसल के झुलसने का खतरा भी बिल्कुल नहीं होगा. एलसीबी के रिसर्चर्स का कहना है कि अभी तक जो रिसर्च की गई है, वह सफल रही है.


268 गुना सोखता है पानी
शोधकर्ताओं ने बताया कि गेहूं के बीज में नैनो पार्टिकल और सुपर एब्जार्बेंट पॉलिमर की कोटिंग की गई है. इस कोटिंग का फायदा यह है कि गेहूं पर लगा पॉलिमर 268 गुना अधिक पानी सोख लेता है. यह पानी गेहूं में 35 दिनों तक रहेगा. इस दौरान किसान को गेहूं की सिंचाई करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.


उत्तर प्रदेश के 35 जिलों में होगी गेहूं की बुवाई 
रबी सीजन चालू है. उत्तर प्रदेश के 35 जिलों में गेहूं की बुवाई होगी. इस नए बीज से किसानों को काफी फायदा होगा. इस बीज की खासियत है कि यह 78 डिग्री टेंप्रेचर भी जिंदा रहेगा. गेहूं की फसल 120 से 150 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इसमें 3 से 4 सिंचाई की जरूरत पडती है, जबकि रिसर्च किए हुए बीज पर दो सिंचाई में ही काम चल जाएगा प्रॉडक्शन भी अधिक होगा.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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