Zero Tillage Farming: देश के कई इलाकों में धान की कटाई देरी से हुई हैं, जिसके चलते गेहूं की बुवाई के लिए खेत तैयार करने में काफी समय लग जाता है. कृषि विशेषज्ञ बताते हैं  कि गेहूं की देर से बुवाई करने पर उत्पादन और उत्पादकता में गिरावट आ जाती है. अब किसानों के सामने बड़ी चुनौती यही है कि खेत के बिना तैयार किए, जुताई और पाटा लगाए बिना बुवाई कैसे करें.

इस सवाल का एक ही जवाब है, जीरो टिलेज से बुवाई, जिसमें खेत की जुताई करने के लिए समय बर्बाद नहीं करना होता, बल्कि धान की फसल की कटाई के बाद खेत में अच्छी नमी होती है. ऐसे में जीरो टिलेज मशीन से गेहूं के बीजों की बुवाई करना फायदेमंद रहता है. इस तरह अलग से सिंचाई करने की भी जरूरत नहीं पड़ती. आइये जानते हैं इस तकनीक के तमाम फायदे विस्तार से...

क्या जीरो टिलेज तकनीकपारंपरिक तकनीक से गेहूं की बुवाई के लिए 5 से 6 बार खेत की जुताई की जाती है, लेकिन इसका कुछ खास फायदा नहीं होता, बल्कि धरती की सतह अंदर तक ढ़ीली हो जाती है और गेहूं का बीज ज्यादा अंदर जाने से ठीक तरह अंकुरण नहीं हो पाता. इससे पौधे कम बनते हैं, फसल का उत्पादन कम और इन सब का खर्च बढ़ने से मुनाफा घट जाता है.

खेत की जुताई और बुवाई के परंपरागत कामों में अच्छी खासी लागत और समय खर्च होता है, लेकिन दूसरी तरह जीरो टिलेज विधि इसके बिल्कुल विपरीत है. इस तकनीक से बुवाई के समय में 10 से 20 दिन की बचत की जा सकती है, बल्कि उत्पादकता का अच्छी उत्पादकता को कायम रखते हुए अतिरिक्त खर्च को कम किया जा सकता है.

जीरो टिलेज मशीन से करें बुवाईजीरो टिलेज मशीन एक आधुनिक कृषि उपकरण है, जिसे ट्रैक्टर के साथ जोड़कर चलाया जाता है. इस उपकरण से खेत में गेहूं की बुवाई कतारों में हो जाती है. बिना जुताई के ही गेहूं के बीजों का अच्छा जमाव होता है. इससे कम समय और कम मेहनत में अच्छे परिणाम देखे जाते हैं. एक रिसर्च में सामने आया है कि जीरो टिलेज मशीन से हर तरह की मिट्टी में गेहूं की बुवाई की जा सकती है.

वहीं जीरो टिलेज मशीन से गेहूं की बुवाई करने वाले किसान भी इसे फायदे का सौदा बताते हैं. जहां गेहूं की खेती के लिए तीन बार जुताई और एक बार खेत में पाटा लगाना पड़ता. इस तरीके से जुताई के साथ-साथ बीजों की बुवाई खाद, उर्वरक समेत सभी चीजें खेतों में चली जाती हैं. इस तरह कम समय में बीजों का अंकुरण हो जाता है और फसल भी समय से पहले तैयार हो जाती है. इस मशीन के उपयोग से किसानों को प्रति हेक्टेयर में 1000 से 1500 रुपए तक का फायदा हो जाता है.

जीरो टिलेज की कीमत जीरो टिलेज उपकरण की कीमत इसकी कंपनी पर निर्भर करती है. आमतौर पर ये कृषि उपकरण 30,000 से 1 लाख रुपये में खरीद सकते हैं. किसान चाहें तो खरीदने के बजाए कस्टम हायरिंग सेंटर से जीरो टिलेज मशीन को किराए पर ले सकते हैं.

इससे एक ही दिन में जुताई से लेकर बुवाई का काम हो जाएगा. इसकी खरीद पर केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से सब्सिडी योजनायें चलाई जाती हैं. मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एक पोर्टल https://agrimachinery.nic.in/ भी बनाया है, जहां कृषि मशीनों और संबंधित योजनाओं के बारे में जान सकते हैं.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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