अब तक आपने किसनों को सामान्य पारंपरिक फसलों की खेती करते देखा होगा. कुछ किसानों को सब्जी की खेती करते देखा होगा. लेकिन अब आप किसानों को डीजल की खेती करते देखेंगे.  ऐसे तो इस पौधे का नाम जेट्रोफा है, लेकिन आम बोलचाल की भाषा में इसे डीजल का पौधा कहा जाता है. दरअसल, इस पौधे के बीजों से बायोडीजल निकाला जाता है और किसानों को इसकी काफी अच्छी कीमत मिलती है.


कैसे होती है इसकी खेती?


जेट्रोफा की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु की जरूरत पड़ती है. इसके साथ ही इसकी खेती के लिए आपको ऐेसे खेत की जरूरत पड़ेगी जहां पानी की निकासी ठीक हो. ये पौधा शुष्क क्षेत्रों में खूब होता है. यानी राजस्थान, उत्तर प्रदेश के कुछ इलाके और मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में इसकी खेती बेहतर तरीके से होती है. जेट्रोफा के पौधे को सीधे खेत में नहीं लगाया जाता है, सबसे पहले इसकी नर्सरी लगाई जाती है फिर इसके पौधों को खेत में लगाया जाता है. इसकी खेती के साथ सबसे अच्छी बात ये होती है कि एक बार इसे खेत में लगा दिया जाए तो यह तीन से चार वर्षों तक फसल देती है.


जेट्रोफा के बीजों से डीजल बनता कैसे है?


जेट्रोफा के पौधों से डीजल के बनने की प्रक्रिया बेहज सघन है. दरअसल, सबसे पहले जेट्रोफा के पौधे के बीजों को फलों से अलग करना होता है, इसके बाद बीजों को अच्छी तरह से साफ किया जाता है, फिर इन्हें एक मशीन में डाला जाता है जहां से इसका तेल निकलता है. ये प्रक्रिया बिल्कुल वैसी ही होती है जैसे सरसों से तेल निकालने की प्रक्रिया होती है.


इसकी डिमांड तेज हो रही है


डीजल-पेट्रोल की बढ़ती कीमतों की वजह से भारत समेत पूरी दुनिया में इसकी मांग बढ़ी है. भारत सरकार भी इसकी खेती में किसानों की मदद कर रही है.  इसलिए अगर भारतीय किसान इसकी खेती करते हैं और बड़े पैमाने पर करते हैं तो यह उन्हें पारंपरिक फसलों के मुकाबले ज्यादा मुनाफा देगी.


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