Schemes For Sugarcane Farmers: ब्राजील के बाद भारत ही गन्ना का सबसे बड़ा प्रोड्यूसर है. देश की सालाना गन्ना उत्पादन क्षमता 306 मिलियन टन है. यहां 77.6 टन प्रति हेक्टेयर रकबा गन्ना की खेती से कवर होता है. इन दिनों चीनी का निर्यात में भी ग्रोथ दर्ज हुई है. उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों से गन्ना का बंपर उत्पादन मिलता है. अब चीनी मिलों ने किसानों के लिए भुगतान की प्रक्रिया को भी आसान बना दिया है. इस बीच भारत सरकार ने भी गन्ना के उत्पादन को बढ़ाने और किसानों की आय को दोगुना करने के लिए कई योजनाएं चलाई हैं. इन योजनाओं का लाभ लेकर किसान गन्ना की खेती का खर्च काफी हद तक कम कर सकते हैं. इस तरह लागत कम करके किसानों की आय को दोगुना करने में आसानी रहेगी.

गन्ना की खेती के लिए ट्रेनिंगजलवायु परिवर्तन के कारण फसलों में काफी नुकसान देखा जा रहा है. ऐसे में किसानों को पारंपरिक विधियों के बजाए नई तकनीकों से गन्ना की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके लिए सरकार किसानों को ट्रेनिंग भी उपलब्ध करवाती है. इसके लिए एग्री बिजनेस और कृषि बिजनेस सेंटर जैसी योजनायें चलाई जा रही है, जिसके तहत गन्ना की खेती के साथ-साथ इसकी प्रोसेसिंग करने की ट्रेनिंग भी दी जाती है. उत्तर प्रदेश के लखनऊ में स्थित देश की अग्रणी संस्था ICAR- Indian institute of Sugarcane Research भी किसानों को प्रशिक्षण देती है. अधिक जानकारी के लिए अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या फिर कृषि विभाग के कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं.

गन्ना प्रोसेसिंग के लिए सब्सिडीअकसर गन्ना किसानों को मन मुताबिक दाम नहीं मिलते. ऐसे में प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर गुड़, शक्कर जैसे प्रोडक्ट बना सकते हैं. अच्छी बात ये है कि प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए सरकार की तरफ से सब्सिडी भी दी जाती है. इसके लिए प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना चलाई जा रही है, जिसके तहत कृषि से जुड़े उद्योग स्थापित करने के लिए 10 लाख तक का अनुदान मिलता है. एक अनुमान के मुताबिक, गन्ना की प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए 20 से 25 लाख का खर्च आ सकता है. ऐसे में 10 लाख की सब्सिडी और एग्री बिजनेस के लिए लोन लेकर कम लागत में बड़ा बिजनेस शुरू कर सकते हैं. इस योजना का फायदा उठाने के लिए गवर्नमेंट के ऑफिशियल पोर्टल www.pmfme.mofpi.nic.in पर जाकर आवेदन करना होगा. 

गन्ने की खेती के लिए सब्सिडीभारत में गन्ना की फसल साल में दो बार की जाती है. पहली अक्टूबर से नंवबर और फरवरी से मार्च. ये फसल बुवाई के 12 से 18 महीने में कटाई के लिये तैयार हो जाती है. इस बीच गन्ना की फसल को उचित मात्रा में खाद-उर्वरक, सिंचाई और देखभाल की आवश्यकता होती है. गन्ना से जुड़े कृषि कार्यों के लिए केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर सब्सिडी देती है. वहीं सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन अपनाने पर भी 50 से 90 फीसदी अनुदान दिया जाता है. हाल ही में रबी फसलों के लिए उर्वरकों पर भी सब्सिडी की घोषणा हुई है. 

फसल प्रबंधन के लिए सब्सिडीउत्तर प्रदेश की सरकार गन्ना किसानों को फसल प्रबंधन और सुरक्षा के लिए 900 रुपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से अनुदान दिया जाता है. राज्य में किसानों को बेहद कम किराये पर कृषि यंत्र भी उपलब्ध करवाये जाते हैं, जिससे गन्ना की उत्पादकता और उत्पदान को बेहतर किया जा सके.

गन्ना के लिए बोनस और एमएसपी पर खरीदहर साल भारत सरकार रबी और खरीफ फसलों की एमएसपी तय करती है. पहले गन्ना की रिजेक्टिड किस्मों के लिए 335 रुपये, सामान्य किस्मों के लिए 340 रुपये और अगेती किस्मों के लिए 350 रुपये क्विंटल मूल्य रखा गया था, लेकिन किसानों को राहत प्रदान करते हुए गन्ना पेराई सत्र 2022-23 के दौरान गन्ना की कीमत 15 रुपये बढ़ा दी गई है. 

बड़ी कीमती है गन्ना की खोईअभी तक धान और गेहूं की पराली को खरीदने का बात चल रही थी, लेकिन गन्ना की खोई/ पराली की डिमांड तो कई सालों से है. गन्ने से अव्वल दर्जे का एथेनॉल बनाया जाता है, जिसके लिए गन्ना की खोई हाथों-हाथ अच्छे दामों पर खरीदी जाती है. इससे किसानों को उपज के साथ-साथ अवशेषों से भी अच्छी आमदनी मिल जाती है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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