Agriculture Growth: कई तरह की जंगली घास और खरपतवार खेत का हिस्सा होती हैं. फसल बोने के लिए किसान खेती को उर्वरक बनाता है. जैसे ही भूमि की उर्वरकता बढ़ती हैं. ये घासें और खरपतवार भी उगने लगती हैं. खरपतवार को फसलों की बढ़वार के लिए बैरियर के तौर पर देखा जाता है. यानि यह पौधे फसल को सही ढंग से पनपने नहीं देते. कुछ घास रूपी पौधे जमीने की उर्वरकता के साथ-साथ एनवायरमेंट के लिए बेहद खतरनाक होते हैं. देश की इस यूनिवर्सिटी ने ऐसे ही पौधे के खिलाफ जंग छेड़ी है. देशभर के छा़त्र इस अभियान में हिस्सा बनेंगे. 

सरदार वल्लभ भाई पटेल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने की अनोखी पहलमीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के मेरठ स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने यह पहल की है. यूनिवर्सिटी के पदाधिकारियों ने पारथेनियम मुक्त भारत राष्ट्रीय सेवा योजना पार्थेनियम फ्री नेशनल स्कीम की शुरूआत की है. इसके तहत देशभर के कॉलेज और यूनिवर्सिटी में एक मूवमेंट चलाया जाएगा. इसमें पारर्थेनियम के नुकसान के बारे में छा़त्रों को बताया जाएगा. 

कैसे किया जा सकता है खत्मयूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. केेके सिंह ने बताया कि यह एक बड़ा आंदोलन है. इसमें देशभर के छात्रों को जोड़ा जाएगा. उन्हें बताया जाएगा कि कैसे इस पौधे को जड़ से खत्म किया जा सकता है. साथ ही सोडियम क्लोराइड और ग्लाइसोफेट सॉल्यूशन से खत्म होने के बारे में भी जानकारी दी जाएगी. 

पहली बार 1810 में यहां मिला पार्थेनियमपार्थेनियम सबसे पहले वर्ष 1810 में अरुणांचल और नागालैंड में 1810 में मिला था. 1955 तक इसे पूना में देखा गया. मौजूदा समय मे ंयह तमिलनाडू, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में देखने को मिल रही है.

लोगों की सेहत के लिए बेहद खतरनाक है पार्थेनियमसाइंटिस्ट का कहना है कि यह लोगों के साथ पशुओं के लिए भी बेहद खतरनाक है. खेत में होने पर यह कई फसलों को पैदा होने से रोक देती है. इसके अलावा नाइटोजन के अवशोषण करने का काम करती है. इससे फसल ग्रोथ नहीं कर पाती है. वहीं, लोगों में इस पौधे से कई तरह की एलर्जी होने का खतरा पैदा रहता है. स्किन संबंधी गंभीर बीमारियां हो जाती हैं.  क्या है पार्थेनियमपार्थेनियम हिस्टेरोफोरोस को कांग्रेस घास या गाजर घास के रुप में भी जाना जाता है. यह एस्टरेसी कुल का सदस्य है. मौजूदा समय में विश्व के सात सर्वाधिक हानिकारक पौधों में से एक है. इसे व्यक्ति, पालतू जानवरों के स्वास्थ्य और भूमि की उर्वरका के साथ पूरे एनवायरमेंट के लिए बेहद घातक माना जाता है. 

 

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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