Treatment of Khaira Disease in Paddy Crop: भारत में खरीफ फसल चक्र (Kharif Crop Cycle) के दौरान ज्यादातर किसान धान की फसल (Paddy Cultivation) लगाते हैं, क्योंकि इस दौरान धान की सिंचाई (Irrigation in Paddy) पूरी तरह से बारिश पर निर्भर करती है. इस समय फसल को जलवायु के अनुरूप अच्छा पोषण भी मिल जाता है. मानसून 2022 में कम बारिश पड़ने के कारण धान के किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें से खैरा रोग (Khaira Disease) एक चिंताजनक बीमारी है.

ये धान की फसल में जिंक की कमी के कारण पैदा होती है, जिससे फसल की क्वालिटी तो खराब होती ही है, फसल का उत्पादन भी 40% तक गिर जाता है. 

ऐसे पहचानें खैरा रोग के लक्षण (Symptoms of Khaira Disease)मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तरी बिहार के खेतों की मिट्टी में जिंक का काफी कमी होती है, जिसके चलते धान की फसल में बुवाई के 25 दिनों बाद ही खैरा रोग के लक्षण दिखने लग जाते हैं. 

  • विशेषज्ञों की मानें तो अल्काइन और कैल्शियम की अधिकता वाली मिट्टी में धान की खेती करने पर खैरा रोग का संकट बढ़ जाता  है. 
  • ये समस्या फसल के उत्पादन और उत्पादकता के साथ-साथ धान के पौधों में विकास, पुष्पन, फसल और परागण में भी रुकावट बनती है.
  • खैरा रोग से ग्रस्त होने पर धान की पौधों की पत्तियां हल्के भूरे और लाल रंग की पड़ने लगती है.
  • इसके कारण न सिर्फ पौधों का विकास रुक जाता है, बल्कि धब्बों से भरी पत्तियां मुरझाने लगती है.

धान की फसल में खैरा रोग की रोकथाम (Prevention of Khaira Disease in Paddy)विशेषज्ञों की मानें तो धान की रोपाई के करीब 25 दिनों के अंदर खेत में निराई-गुड़ाई और निगरानी शुरू कर देनी चाहिये, जिससे इसके लक्षणों को समय रहते पहचानकर उपाय कर लिये जायें.

  • कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि ये रोग जिंक की कमी के कारण होता है, लेकिन इसमें कीट नाशक या फफूंदीनाशक दवायें नहीं छिड़कनी चाहिये.
  • धान की खैरा रोग ग्रस्त फसल में विशेषज्ञ की सलाहनुसार ही रोग प्रबंधन के कार्य करें.
  • 0.5 प्रतिशत जिंक सल्फेट और 0.2 प्रतिशत बुझा हुआ चूना को 15 लीटर पानी में मिलाकर हर 10 दिन में तीन बार फसल पर छिड़काव करें.
  • किसान चाहें तो बुझे हुये चूने की जगह 2% यूरिया की मात्रा का भी प्रयोग कर सकते हैं. 
  • इसके अग्रिम निदान के लिये मिट्टी की जांच करवायें और आवश्यकतानुसार बीजोपचार(Seed Treatment), खेतों की जुताई और उर्वरकों (Fertilizers)का प्रयोग करें.
  • धान की रोपाई से पहले खेत में गहरी जुताई लगाकर 25 किलो जिंक सल्फेट को प्रति हेक्टेयर फसल के हिसाब से मिट्टी में मिलायें.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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