Innovation In Agriculture: भारत और इजरायल के कूटनीतिक संबंध मधुर हैं. रणनीतिक और सामरिक तौर पर देश एक दूसरे की मदद करते हैं. भारत काफी हथियारों का सौदा इजरायल से करता है. वहां की तकनीकी का प्रयोग भी अपने देश में किया जाता है. अब इजरायल भारत में एग्रीकल्चर फील्ड में भी बढ़ावा देने के लिए सहारा बनेगा. जम्मू कश्मीर में इसके लिए विशेष तौर पर कवायद की गई है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल और भारत के शीर्ष अधिकारी जम्मू में कृषि को बढ़ावा देने की दिशा पर काम कर रहे हैं. जल्द ही योजना को जमीन पर उतारना शुरू कर दिया जाएगा.
स्थापित होंगे दो सेंटर ऑफ एक्सीलेंसइजरायल के सहयोग से भारत में एग्रीकल्चर क्षेत्र को प्रमोट किया जाएगा. इसके लिए दो सेंटर ऑफ एक्सीलेंस भी स्थापित किए जाएंगे. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल के सीनियर अधिकारियों का कहना है कि भारत इजरायल कृषि प्रोजेक्ट (आइआइएपी) का मकसद फसल विविधता, उत्पादकता में वृद्धि और जल उपयोग करने की क्षमता को बेहतर बनाना है. सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की मदद से एग्रीकल्चर क्षेत्र में बेहतर काम किया जाएगा. जम्मू कश्मीर क्षेत्र में जो फल और सब्जियां अधिक हो रही हैं. उन्हें और बढ़ावा दिया जाएगा.
सेब, अखरोट, केसर विश्व में बनाएंगे पहचानजम्मू-कश्मीर संभाग में दो सेंटर आफ एक्सीलेंस स्थापित करने के लिए तैयार इजरायल गवर्नमेंट तैयार है. इसके लिए एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट से सलाह लेकर ब्रॉड परियोजना रिपोर्ट तैयार होगी. उसके आधार पर ही आगे कदम बढ़ाए जाएंगे. जम्मू-कश्मीर में सेब, अखरोट, केसर बहुतायत होता है. जम्मू-कश्मीर से सेब, अखरोट, केसर की सप्लाई भारत के अन्य हिस्सों में भी होती है. इन्हें इजरायल के एक्सपर्ट से सलाह लेकर विश्व स्तर पर प्रमोट किया जाएगा. इन्हें एक अलग पहचान दिलाई जाएगी. इसके लिए फल-सब्जियों का निर्यात भी बढ़ाना पड़ेगा.
एग्रीकल्चर तकनीक भी होगी साझाइजरायल भारत के एग्रीकल्चर क्षेत्र में ग्रोथ लाने के लिए एग्रीकल्चर तकनीक भी साझा करेगा. इससे आधुनिक तरह से फल-सब्जियां उत्पादन करने की क्षमता भी बढ़ेगी. इजरायल गवर्नमेंट इसके लिए पूरी तरह से तैयार है. सेंटर आफ एक्सीलेंस, इजरायली कृषि-प्रौद्योगिकी और नवीनतम तकनीक के ज्ञान हस्तांतरण के लिए उन्नत, गहन कृषि फार्म का एक रूप है. इसका उद्देश्य कुछ प्रमुख फसलों पर फोकस कर उन्हें बढ़ावा देना है. फसलों को अलग पहचान मिलेगी तो किसानों की आय भी बढ़ेगी. हर सेंटर में नर्सरी प्रबंधन, खेती की तकनीक, सिंचाई करने की तकनीक पर भी गौर किया जाएगा.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.