Stubble Management: हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली के लिए पराली एक बड़ा संकट है. स्टेट से लेकर सेंट्रल गवर्नमेंट तक पराली मैनेजमेंट पर फोकस करती है. खरीफ की फसल कटने के बाद किसान खेतों में पराली छोड़ देते हैं. बाद में इन्हें जला दिया जाता है. इससे निकलने वाला धुआं smog बनकर कई राज्यों के लोगों को दम घोंटना शुरू कर देता है. वही सेंट्रल गवर्नमेंट की मदद से स्टेट गवर्नमेंट पराली को लेकर किसानों को अवेयर कर रही है. हरियाणा सरकार ने भी ऐसी योजना तैयार की है कि किसान पराली बेचकर प्रति एकड़ ₹1000 की कमाई कर सकते हैं. अच्छी बात यह है कि किसानों ने वहां इस योजना का लाभ लेना भी शुरू कर दिया है. हरियाणा के एक जिले में ही पिछले 2 साल में किसानों ने एक करोड़ रुपए से अधिक की कमाई कर ली है.

अम्बाला में किसानों ने पराली जलाने के बजाय उसे बेचकर चलते 1 करोड़ 10 लाख 78 हजार 660 रुपया कमाया. योजना के चलते कृषि एवं कल्याण विभाग ने प्रति एकड़ एक हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी. दरअसल जिन किसानों ने बेलर से पराली की गांठ बनवाकर खेत से बाहर निकाला. उन्हें प्रति एक एकड़ एक हजार रुपये दिया गया. Yojana के तहत 2020-21 में 910 किसानों ने लाभ उठाया था, जिसमें 68 लाख 65 हजार रुपये प्रोत्साहन के रूप में लिए. इसी तरह 2021-22 में 489 किसानों ने पराली नहीं जलाई थी, जिस पर 42 लाख 13 हजार 650 रुपये प्रोत्साहन के रूप में मिले. अभी तक कुल 1 करोड़ 10 लाख 78 हजार 660 रुपये किसानों को मिल चुका है.

सभी जिलों में सरकार चलाएगी अवेयरनेस अभियानहरियाणा में जिलों की संख्या 20 है. किसानों को अवेयर करने के लिए हरियाणा गवर्नमेंट अभियान चलाएगी. किसानों को बताया जाएगा कि बेलर बनाकर पराली बाहर निकालने से किसान मोटी रकम कमा सकते हैं. पराली जलाने के खिलाफ पॉल्यूशन एक्ट और उसके तहत की जाने वाली और उसके प्रावधानों से जागरूक किया जाएगा.

Haryana में ऐसे हो रहा पराली मैनेजमेंटइस साल किसानों को पराली मैनेजमेंट के लिए 7,146 मशीनें दी गई हैं. पिछले चार वर्षों में किसानों को कस्टम हायरिंग सेंटर और निजी तौर पर 72,777 दी हैं. सीटू प्रबंधन के तहत 23 लाख मीट्रिक टन फसल अवशेष का उपयोग विभिन्न मशीनों और डीकंपोजर के माध्यम से किया जाएगा.

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