Wheat Crop Damage: देश के ज्यादातर इलाकों में मार्च के महीने में हुई बेमौसम बारिश से किसान भाईयों को काफी नुकसान हुआ है. कई जगह गेहूं की अधपकी फसलें खेतों में बिछ गई है, जिसका सीधा असर गेहूं की क्वालिटी पर पड़ेगा. इस गेहूं को समेटने और इसकी कटाई के लिए अधिक लागत खर्च करनी पड़ेगी. कृषि विशेषज्ञों की मानें तो समय रहते गेहूं की कटाई का काम पूरा करना होगा, क्योंकि लगातार बारिश जैसे हालातों से इसके जमने का खतरा भी बना हुआ है. अगर आपकी फसल गेहूं की फसल पकने के नजदीक थी और बारिश-तेज हवा से झुक गई है तो नमी के सूखते ही इसकी हार्वेस्टिंग कर लें. 


कैसे करें गेहूं की फसल का प्रबंधन


पूसा समाचार में आनुवांशिकी संभाग के वैज्ञानिक डॉ. राजवीर यादव बताते हैं कि गेहूं की कटाई के बाद जब थ्रेसिंग की जाती है तो गेहूं के अंदर 9-10 प्रतिशत आद्रता होनी चाहिए. गेहूं की उपज में जितना कम मॉइश्चर होगा, इसके भंडारण में भी उतनी ही सुविधा रहेगी.कई इलाकों में फसलें दाने बनने की अवस्था में थीं अब बारिश के बाद वहां करनाल बंट का खतरा बढ़ रहा है. इसके कारण गेहूं के दाना काला पड़ जाता है और गेहूं की क्वालिटी गिर जाती है. इस समस्या के चलते बाजार में गेहूं के सही दाम भी नहीं मिलते. इस परेशानी से बचने के लिए उपज  की नियमित जांच करें और करनाल बंट का प्रभाव दिखने से पहले ही प्रोपिकोनाजोल (टिल्ट) की 100-150 मिली. मात्रा को 125 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ फसल पर छिड़काव कर लें.


इन परिस्थितियों में कैसे करें गेहूं फसल की सुरक्षा


गेहूं की पछेती बुवाई की फसल यदि बारिश या आंधी से जमीन पर थोड़ी झुक गई है तो वह अपनी पहले जैसी अवस्था में आ जाएगी. ऐसी परिस्थितियों में फसल नुकसान कम करने के लिए कृषि वैज्ञानिक जीरो टिलेज यानी बिना जुताई के बुवाई करने की सलाह देते हैं. डॉ. राजवीर यादव बताते हैं कि शून्य जुताई गेहूं की बुवाई करने से फसल में झुकने या बिछने की संभावना काफी कम हो जाती है. मिट्टी में जल भराव की दिक्कत भी खड़ी नहीं होगी.


सावधानी से करें उर्वरकों का इस्तेमाल


किसानों को मिट्टी बांधने की क्षमता के हिसाब से उर्वरकों का इस्तेमाल करना चाहिए. जिस मिट्टी की बाइंडिंग क्षमता कमजोर है उसमें नाइट्रोजन उर्वरकों का प्रयोग और पौधों की संख्या भी कम रखनी चाहिए. फिल्हाल किसान अपने खेतों में जल निकासी का काम कर लें, जिससे फसल जल्दी सूख जाए और इसकी कटाई का काम किया जा सके. इस तरह गेहूं की सुरक्षित उपज लेकर नुकसान को कम करने में खास मदद मिलेगी. 


विशेषज्ञ बताते हैं कि मार्च की बारिश कई इलाकों में पछेती फसल के लिए फायदेमंद रहेगी, क्योंकि बारिश पड़ने से गेहूं में पानी लग जाएगा और तापमान कम रहने से पौधों का सही विकास होगा, हालांकि इससे फसल की अवधि जरूर बढ़ जाएगी, लेकिन गेहूं उत्पादन के लिए सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य पर इसका कोई खास असर नहीं पड़ेगा. 


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