Red Radish Cultivation: सब्जी के साथ-साथ सलाद की शोभा बढ़ाने वाली सफेद मूली (White Radish)  का मीठा-कसैला स्वाद किसे पंसद नहीं होता.  सफेद रंग की मूली ना सिर्फ पोषण से भरपूर होती है, बल्कि सर्दियों में पानी की कमी को भी पूरा करती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सफेद मूली से ज्यादा फायदा और मुनाफा लाल मूली की खेती (Red Radish Farming) में है. जी हां, भारत में विदेशी सब्जियों की बढ़ती मांग के बीच लाल मूली भी काफी लोकप्रिय हो रही है. ऐसे में किसानों के पास लाल मूली की फसल को बाजार में उतारने का अच्छा मौका है. बता दें कि बड़े-बड़े शहरों में फाइव स्टार होटल, मॉल, डिपार्मेंटल स्टोर, ऑनलाइन मार्केट और यहां तक मंडियों में लाल मूली की फसल (Red Radish Crop) हाथोंहाथ बिक सकती है. इसके लिये जरूरी है कि खेती के लिये उन्नत किस्म के बीज और सही तरीके का इस्तेमाल किया जाये, जिससे खेती की लागत कम और मुनाफा काफी बढ़ सकता है.  


लाल मूली की खासियत
जानकारी के लिये बता दें कि सफेद मूली की तुलना में लाल मूली ज्यादा महंगी बिकती है. इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और कैंसर रोधी गुण ही इसे सफेद मूली से काफी अलग बनाते हैं. अभी तक सिर्फ खपत सिर्फ बड़े शहरों तक ही सीमित थी, लेकिन सोशल मीडिया के दौर में अब छोटे शहरों और कस्बों में भी इसकी बागवानी की जा रही है. किसान चाहें तो लाल मूली के उन्नत बीज ऑनलाइन ऑर्डर करके मंगवा सकते हैं. भारत में लाल मूली की पूसा मृदुला (Pusa Mridula-Red Radish) किस्म भी ईजाद की गई है. ये गहरे लाल रंग की मूली 25 से 40 दिन के अंदर 135 क्विंटल तक पैदावार दे सकती है. इस लेवल का उत्पादन खेती की उन्नत तकनीक, सही मिट्टी और जलवायु पर निर्भर करता है.


मिट्टी और जलवायु
लाल मूली की खेती के लिए जीवाश्मयुक्त मिट्टी सबसे उपयुक्त रहती है. अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी में इसका काफी अच्छा उत्पादन ले सकते हैं. किसान चाहें तो विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार दोमट भूमि, चिकनी मिट्टी में भी लाल मूली की फसल लगा सकते हैं. ध्यान रखें कि मिट्टी का पीएम मान 6.5 से 7.5 के बीच ही होना चाहिए. बता दें कि लाल मूली एक सर्द मौसम वाली फसल है, जिसकी खेती के लिये सिंतबर से लेकर फरवरी का समय सबसे उपयुक्त रहता है.


खेत की तैयारी
लाल मूली को फ्रेंच मूली (French Radish)  भी कहते हैं, जो एक अव्वल दर्जे की सब्जी है. कम समय में बेहतर उत्पादन हासिल करने के लिये लाल मूली की संरक्षित खेती या पारंपरिक खेती भी कर सकते हैं. इसकी बुवाई से पहले खेत तो जैविक विधि से तैयार करना चाहिये. इसके लिये 8 से 10 टन गोबर की खाद और वर्मी कंपोस्ट खाद को बराबर मात्रा में मिलकार खेत में फैला दें, जिससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बेहतर रहे. इसके बाद खेत में गहरी जुताई लगाकर पाटा चला देना चाहिये, जिसके बाद मेड़ या बैड बनाकर लाल मूली के बीजों की बुवाई करना फायदेमंद रहेगा. इससे खरपतवारों की रोकथाम के साथ-साथ जल भराव की समस्या से छुटकारा मिल जायेगा.


लाल मूली की बुवाई
कृषि विशेषज्ञों की मानें तो मेड़ों पर लाल मूली की बुवाई करने के लिये करीब 8 से 10 किलोग्राम बीजों की जरूरत होती है. इसकी बुवाई के लिये कतार विधि का प्रयोग करना चाहिये, ताकि फसल में निराई-गुड़ाई, निगरानी और बाकी कृषि कार्य आसानी से कियो जा सकें. लाल मूली के बीजों की बुवाई से पहले बीज उपचार करें. इसके बाद लाइन से लाइन के बीच 30 सेंमी. और पौध से पौध के बीच 10 सेंटीमीटर की दूरी रखकर बीजों को 2 इंच गहराई में लगा दें. लाल मूली की फसल से अच्छी पैदावार के लिये मिट्टी की जांच के आधार पर प्रति हेक्टेयर की दर से 80 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस और 60 किलो पोटाश भी डाल सकते हैं.


लाल मूली की पैदावार
मिट्टी की जांच, खेती की सही तकनीक और सही समय पर लाल मूली की बुवाई (Red Radish Seeding) करके किसान काफी अच्छी पैदावार ले सकते हैं.  मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2021 में पादरी बाजार, गोरखपुर के अविनाश कुमार ने भी लाल मूली की फसल लगाई थी. उन्होंने बताया कि लाल मूली की फसल बुवाई के 40-45 दिनों के अंदर तैयार हो जाती है, जिससे 135 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं. बता दें कि आधुनिक तकनीक यानी पॉलीहाउस (PolyHouse) या लो टनल (Low Tunnel) में लाल मूली की खेती (Red Radish Cultivation) करके काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. किसान चाहें तो पारंपरिक फसलों के साथ-साथ मेड़ों पर मूली की बुवाई करके भी बेहतर उत्पादन ले सकते हैं. 


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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