Duck Farming Benefit: खेती में गेहूं, मक्का, धान, पपीता, मिर्च, सेब, संतरा समेत अन्य फल, सब्जियों की खेती कर किसान मोटा मुनाफा कमाते हैं. कई बार नेचुरल आपदा की चपेट में आने पर किसानों को नुकसान भी होता है. लेकिन खेती के अलावा मुनाफे के लिए अन्य हुनर भी आजमाया जा सकता है. आज हम ऐसी ही फार्मिंग की बात करेंगे, जिससे जुड़कर अच्छी कमाई की जा सकती है. डक फार्मिंग यानि बत्तख पालन ऐसा ही व्यवसाय है. 


बत्तख पालन के फायदे जानिए
बत्तखों के खानपान का खर्चा अधिक नहीं होता है. इसलिए लागत उतनी नहीं आती हैं. मुर्गियों के दाने पानी पर खर्चा अधिक होता है. अच्छी बात यह है कि अच्छी नस्ल की बत्तख 300 से अधिक एक साल में दे दती हैं. बत्तख पालन में कोई परेशानी नहीं होती है. यह जमीन और पानी दोनों जगह पर ही पाली जा सकती हैं. 


इस एनवायरनमेंट में बत्तख पालिए
बत्तख पालन के लिए ऐसा एनवायरमेंट होना चाहिए, जहां जलवायु नम हो. बत्तख को जलीय पक्षियों की श्रेणी में गिना जाता है. इसे गांव के तालाब, धान और मक्का के खेत में पाला जा सकता है. बत्तख एक जलीय पक्षी है. बत्तख पालन के लिए 25 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए. 


इस तरह बत्तख के रहने का बंदोबस्त करिए 
बत्तख के रहने का बंदोबस्त भी उचित होना चाहिए. उनके रहने वाले वाले स्थान पर शेड बना दिया जाए. यह थोड़े ऊंचे स्थान पर हो. शेड में हल्की धूप और हवा की व्यवस्थाा होनी चाहिए. शेड के आसपास तालाब या धान की खेत होना चाहिए. बत्तख पालन के लिए ऐसी जगह का चयन किया जाना चाहिए, जहां अधिक शोर न हो. शेड पूर्व और पश्चिम में लंबा और उत्तर दक्षिण दिशा में चौड़ा होना चाहिए. एक शेड से दूसरे शेड की बीच की दूरी 20 फीट से कम न हो. 


बत्तखों को ये आहार खिलाएं
बत्तखों को सूखा खाना नहीं खिलाना चाहिए. सूखा खाना उनके गले में फंस सकता है.  खाना थोड़ा गीला जरूर हो. रसोई का कचरा, चावल, मक्का, चोकर, घोंघे, मछली खाना बत्तख पसंद करती हैं. यदि इनका पालन तालाब मेें हो रहा है तो वहां कीड़े मकोड़े खाकर अपना पेट भर लेती हैं. इनके राशन को भी अलग अलग कैटेगरी में बांटा गया है. स्टार्टर राशन चूज ये राशन चूजों को दिया जाता है. ग्रोअर राशन 15 से 20 दिन बाद देना शुरू किया जाता है. फिनिशर राशन 2-3 महीने के बाद बड़े चूजों को देने लगते हैं. 


ये हैं बत्तख की अच्छी नसलें
बत्तख का प्रयोग आमतौर पर मांस और अंडे के लिए किया जाता है. मांस उत्पादन के लिए सफेद पैकिंग, एलिसबरी, मस्कोवी, राउन, आरफींगटन, स्वीडन, पैकिंग बत्तख की अच्छी नसलें मानी जाती हैं. अंडा उत्पादन के लिए इंडियन रनर बेहतर है. वहीं, अंडे और मांस के लिए खाकी कैंपबेल को बेहतर माना जाता है. 


इतना खर्चा, बंपर कमाई
बत्तख पालन पर खर्चा बहुत अधिक नहीं आता है. 1000 चूजों के पालन पर एक से डेढ़ लाख रुपये खर्च होते हैं. लेकिन कमाई की बात करें तो बत्तख साल में लगभग 300 अंडे देती हैं. एक अंडा 8 से 10 रुपये में बिक जाता है. इससे सालाना करीब 4 लाख रुपये तक की कमाई हो जाती है. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.



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