Rain Based Farming of Soyabean: सोयाबीन (Soyabean) एक तिलहनी फसल (Oil-Based Crop) होने के साथ खरीफ सीजन (Kharif Season) की प्रमुख नकदी फसल है, जिसकी मानसून के दौरान बुवाई (Rain Based Farming)करने पर बंपर उत्पादन मिलता है. वैसे तो देश के कई राज्यों में सोयाबीन की खेती (Soyabean Cultivation) की जाती है, लेकिन मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के किसानों द्वारा इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. ये सेहत के फायदेमंद तो है ही, इसकी प्रोसेसिंंग (Soyabean Processing) करके सोया दूध, सोया पनीर और सोया बड़ी बनाकर बेचने से अतिरिक्त आमदनी भी हासिल कर सकते हैं.
ऐसे करें सोयाबीन की बुवाईसोयाबीन की खेती के लिये चिकनी दोमट मिट्टी सबसे बेहतर रहती है, जिसमें अच्छी जल निकासी की व्यवस्था भी करनी चाहिये. खेत में जल निकासी करने से मिट्टी में भी नमी बनी रहती है और अतिरिक्त पानी खेत से बाहर निकल जाता है. जुलाई के प्रथम सप्ताह में इसकी बुवाई का काम निपटा लेना चाहिये. इस दौरान बारिश के कारण सोयाबीन में अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं होती और फसल 50-145 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.
लागत और पैदावारविशेषज्ञों के मुताबिक, एक एकड़ जमीन में सोयाबीन की उन्नत किस्में उगाने पर 40-45 क्विंटल तक पैदावार मिल जाती है. उत्तर प्रदेश के एक सफल किसान 25 एकड़ में सोयाबीन की खेती कर रहे हैं, जिससे साल भर में उन्हें 10 लाख रुपये का शुद्ध लाभ मिल जाता है. बात करें खर्च की तो बीजों की खरीद से लेकर कटाई में 70,000 से 1 लाख रुपये तक का खर्च आता है. सही बारिश और देखभाल करने पर मुनाफा और उत्पादन बढ़ जाता है.
बरतें ये सावधानीसोयाबीन की वर्षा आधारित खेती ((Rain based Farming of Soyabean) करते समय शुरुआत से कटाई तक कई सावधानियां (Preacutions) बरतने की जरूरत होती है.
- अकसर फसल में गलन के कारण फफूंदी रोग (Fungal Disease in soyabean Crop) लग जाते हैं, जिससे निजात पाने के लिये खेत की तैयारी के साथ जल निकासी व्यवस्था कर लें.
- सोयाबीन एक तिलहनी फसल है, जिसमें कीड़े और बीमारियां लगने का खतरा बना रहता है, इसकी रोकथाम के लिये नीम (Neem Pesticide) से बने जैविक दवाओं (Organic Pesticide) से नियंत्रण का काम करें.
- सोयाबीन की खेती के साथ दूसरी सब्जियों और मोटे अनाजों की सह-फसली खेती (Co-Cropping of Soyabean) करने से ज्यादा फायदा मिलता है.
- अंतरवर्तीय खेती (Co-Crop Farming) करने पर खेती की लागत वसूल हो जाती है, जिससे किसानों को अच्छी आमदनी लेने में भी मदद मिलती है
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
इसे भी पढ़ें:-