Fish Farming Through Bioflock Technique: आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत खेती-किसानी संबंधी कामों के जरिये किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है.  कोरोना महामारी के समय जारी इस योजना से मछली पालन क्षेत्र को भी जोड़ा है. हालांकि पिछले दो सालों में किसानों और मछली पालकों को मछली पालन से अच्छी खासी आमदनी हुई है. लेकिन मछली पालन को और भी ज्यादा आसान बनाने के लिये नई तकनीकें इजाद की जा रही हैं. जिनका लक्ष्य किसानों को नई तकनीकों की ट्रेनिंग देकर स्मार्ट फार्मिंग को बढ़ावा देना है. स्मार्ट फार्मिंग यानी कम खर्च में ज्यादा मुनाफा. मछली पालन में स्मार्ट फार्मिंग की ऐसी ही तकनीक है जिसे टैंक विधि यानी बायोफ्लॉक तकनीक के नाम से जानते हैं.


क्या है बायोफ्लॉक तकनीक
बायोफ्लॉक तकनीक मछली पालन की आधुनिक विधि है, जिसमें टैंकों के अंदर कम पानी में ज्यादा मछलियां पाली जा सकती हैं. इस तकनीक में छोटे टैंकों का इस्तेमाल किया जाता है.  24 फुट की लंबाई-चौड़ाई वाले ये टैंक सिर्फ पांच फुट गहरे होते हैं. इन टैंकों में 4 फुट तक तक पानी भरा जाता है. जानकारी के लिए बता दें कि इस तकनीक में मछली के लिये सिर्फ 10-11 लीटर पानी की जरूरत पड़ती है जबकि साधारण तकनीक से तालाब में मछली पालने पर करीब 400-600 लीटर तक पानी की खपत हो जाती है. बायोफ्लॉक तकनीक तालाब तकनीक से कई गुना आसान और 40% तक बचत करवाने वाली तकनीक है.  


कैसे काम करती है बोयफ्लॉक तकनीक
यह तकनीक बायोफ्लॉक बैक्टीरिया के अनुरूप ही काम करती है. दरअसल, इस तकनीक में मछली को खाने को प्राकृतिक भोजन नहीं मिल पाता, लेकिन मछलियों को पोषण से भरपूर दाना डाला जाता है. इस दाने का 75% अपशिष्ट मछलियां बाहर छोड़ देती है. बायोफ्लॉक बैक्टीरिया इसी अपशिष्ट को प्रोटीन में बदल देता है. इस प्रोटीन का सेवन मछलियां दोबारा कर लेती है और पानी अपने आपने आप ही साफ हो जाता है.  इसके अलावा, इस तकनीक में एक्वाकल्चर सिस्टम मौजूद होता है, जिसके तहत टैंकों में 24 घंटे पानी का बहाव बना रहता है. इससे मछलियों को स्वस्थ वातावरण मिल जाता है और उनमें बीमारियों की संभावना खत्म हो जाती है. इतना ही नहीं, इस तकनीक में समय-समय पर तापमान चैक करना भी अनिवार्य होता है, जिससे टैंक के वातावरण को मछलियों के अनुसार ढ़ाला जा सके.


ऐसे करें आवेदन
अगर आप भी बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन शुरु करना चाहते हैं तो सरकार से लाइंसेस लेना अनिवार्य है. लाइसेंस प्राप्त करने के लिये किसान या मछली पालकों को पंजीकरण करवाना होगा, जिसके तहत सभी जरूरी दस्तावेजों के साथ आवेदन फॉर्म भरना होता है. इन दस्तावेजों में आधार कार्ड, पेन कार्ड, पासपोर्ट साइड फोटो अनिवार्य है. किसान या मछली पालक चाहें तो MSME मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट https://www.msme.gov.in/ पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. इस व्यवसाय के लिये पंजीकृत होने के बाद किसानों या मछली पालकों को पंजन संख्या दी जाती है, जिसकी मदद से किसान सब्सिड़ी या आर्थिक अनुदान का लाभ ले सकते हैं. 


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