Animal vaccination campaign: आज पशुपालन को भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास में भागीदार माना जाता है. इस व्यवसाय ने कई ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाया है. आज ज्यादातर भी खेती के साथ-साथ पशुपालन करके अतिरिक्त आमदनी ले रहे हैं. जब पशु ही गांव की तरक्की का आधार बनते जा रहे हैं तो उनकी सेहत का ख्याल रखना भी किसान-पशुपालकों की जिम्मेदारी बन जाती है. खासकर अक्टूबर-नवंबर के बदलते मौसम में पशुओं को तमाम बीमारियां लगने के खतरा बना रहता है.

देश की बड़ी पशु आबादी जहां लंपी से पीड़ित है. वहीं लंपी (Lumpy) फ्री राज्य में भी पशु गलघोंटू और लंगड़ी रोग की चपेट में आ सकते हैं. इन बीमारियों की रोकथाम के लिये पशु का समय रहते टीकाकरण करवाने की सलाह दी जाती है. इसी कड़ी में बिहार सरकार अपने राज्य में पशुओं की बेहतरी के लिये निशुल्क टीकाकरण अभियान (Free Vaccination Drive) चला रही है. 

यहां करवायें मवेशियों का टीकाकरणबिहार में दुधारु पशु और मवेशियों के बेहतर स्वास्थ्य और गलघोंटू-लंगड़ी जैसे घातक रोगों की रोकथाम के लिये निशु्ल्क टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इसके बिहार पशुपालन और मत्स्य संसाधन विभाग की ओर से दुधारु पशु/मवेशियों का टीकाकरण करवाने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसके लिये राज्य के सभी किसान और पशुपालक पशु चिकित्सक/नियंत्रण कक्ष में संपर्क कर सकते हैं. दुधारु पशु/मवेशियों की सेहत बिगड़ने या इससे संबंधित कोई भी समस्या होने पर फोन हेल्पलाइन नंबर- 0612-2226049 पर भी फोन कर सकते हैं.

क्या है गलघोंटू रोगबदलते मौसम या बारिश के दौरान मवेशियों को होने वाली घातक बीमारियों में गलघोंटू रोग भी शामिल है. ये बीमारी लगने पर पशुओं को 106 फॉरेनहाइट तक तेज बुखार हो जाता है. इस दौरान गलाघोंटू ग्रस्त पशु की आंखें सूजकर लाल और नाक, आंख और मुंह से खून आने लगता है.

इसके अलावा पशुओं को सिर, गर्दन के साथ अगली टांगो में सूजन, सांस की समस्या होने पर पशु कराहने लगते हैं. ये बीमारी साफ-सफाई ना रखें, पशुओं को पुराना और गंदा चारा खिलाने, गंदी बिछावन, गंदा पानी पिलाने के कारण गाय और भैंस में फैलती है. इसके लक्षण दिखते ही तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिये. 

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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