Natural Farming in India: कैमिकल के अंधाधुंध इस्तेमाल से हमारी मिट्टी जहरीली होती जा रही है. इसका सीधा असर कृषि उत्पादों पर भी पड़ रहा है. अप्रत्यक्ष रूप से कैमिकल का कुछ हिस्सा फल, सब्जी, अनाज, मसालों के जरिए हमारे शरीर में जा रहा है, जिसका सीधा असर सेहत पर पड़ता है. यही वजह है कि केंद्र और राज्य सरकारें अब जैविक खेती प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही हैं. हाल ही में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंग तोमर ने बताया कि पिछले साल 17 राज्य के किसानों ने नेचुरल फार्मिंग (Natural farming) के जरिए कुल 4.78 लाख हेक्टेयर रकबा और शामिल कर लिया है. कृषि मंत्री ने बताया कि भारत में कैमिकल फ्री प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने कई नीतियां-योजनाएं बनाई हैं. प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय मिशन भी इन्हीं में से एक है, जिसमें 1,584 करोड़ के खर्च का प्रावधान है.


गंगा किनारे प्राकृतिक खेती को बढ़ावा
टिकाऊ खेती के लिए मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन पर राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जानकारी दी कि नमामि गंगे कार्यक्रम (Namami Gange Program) के तहत गंगा किनारे खाली पड़ी जीमन को भी प्राकृतिक खेती के तहत कवर किया जा रहा है. इस काम में सरकार के साथ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), कृषि विश्वविद्यालय और शिक्षण संस्थान भी काम कर रहे हैं.


इन राज्यों में हो रही प्राकृतिक खेती
कृषि मंत्री नरेंद्र सिह तोमर ने राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा कि कैमिकल्स के इस्तेमाल से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कम हो रही है. ऊपर से जलवायु परिवर्तन बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है. इन सभी के कारण आज मिट्टी में कार्बन की मात्रा कम होती जा रही है. मिट्टी की सेहत पर हावी इन चुनौतियों के समाधान के लिए ही प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. कृषि मंत्रा ने बताया कि प्राकृतिक खेती का मॉडल एक प्राचीन तकनीक है, जो उस समय के लोग भी प्रकृति के अनुरूप जीवनयापन के लिए अपनाया गया. आज भी आंध्र प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु के किसान अपने इनोवेटिव अंदाज में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं.


22 करोड़ किसानों को मिले सॉइल हेल्थ कार्ड
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि देश के 22 करोड़ से अधिक किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए जा चुके हैं. इस योजना का लाभ किसानों को तक पहुंचाने के लिए देश में कई बार की सॉइल टेस्ट लैब स्थापित करने का प्रावधान है. इस स्कीम के तहत अभी तक 499 स्थायी, 113 मोबाइल, 8,811 मिनी और ग्रामीण स्तर पर भी 2,395  मृदा जांच प्रयोगशालाएं स्थापित की जा चुकी है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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