अगर आप किसान हैं तो आपको डीएपी खाद के बारे में पता होगा. अगर नहीं पता है तो हम बता देते हैं. आपके यहां जो पीले रंग की बोरी में खाद आती है उसे डीएपी फर्टिलाइजर कहते हैं. इस का फुल फॉर्म होता है डाई अमोनियम फास्फेट. गांव के ज्यादातर लोग इस खाद को डाई के रूप में जानते हैं. यह एक छारीय प्रकृति का रासायनिक उर्वरक है जिसके इस्तेमाल की शुरुआत साल 1960 में हुई थी. आज हम आपको इस खाद से जुड़ी तमाम जानकारियां देंगे.


किस लिए इस्तेमाल होती है डीएपी खाद


डाई अमोनियम फास्फेट दुनिया की सबसे लोकप्रिय फास्फोटिक खाद है जिसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल हरित क्रांति के बाद देखने को मिला. छारीय प्रकृति वाला यह रासायनिक उर्वरक पौधों में पोषण के लिए और उनके अंदर नाइट्रोजन और फास्फोरस की कमी को पूरा करने के लिए किया जाता है. दरअसल इस खाद में 18% नाइट्रोजन और 46 परसेंट फास्फोरस होता है.


पौधों की कोशिकाओं के लिए उपयोगी होता है


यह खाद पौधों के पोषक तत्वों के लिए सबसे बढ़िया माना जाता है. जब इस खाद को मिट्टी में मिलाया जाता है तो यह उसमें अच्छी तरह से मिक्स हो जाता है और पौधों की जड़ों के विकास में अपना पूरा योगदान देता है. इसके साथ ही यह खाद पौधों की कोशिकाओं के विभाजन में भी बहुत शानदार तरीके से काम करता है.


डीएपी का उपयोग कैसे करें


डीएपी खाद का उपयोग करने का सबसे सही समय फसल की बुआई का समय होता है. हालांकि, कई किसान ऐसे भी हैं जो डीएपी का प्रयोग बुआई के समय ना करके पहली या दूसरी सिंचाई के समय करते हैं. अगर 1 एकड़ में डीएपी के सही इस्तेमाल की बात करें तो इस खाद को प्रति एकड़ में 50 किलो तक ही इस्तेमाल करना चाहिए.


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