Kala Amrud Farming: परंपरागत खेती से अलग कृषि कर किसान लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं. विशेषज्ञों की राय है कि गेहूं, धान, मक्का, तिलहन, दलहन पारंपरिक खेती का ही हिस्सा है. किसान इनसे मुनाफा कमाते हैं. लेकिन लीक से हटकर खेती की जाए तो बंपर कमाई ले सकते हैं. हालांकि किसी भी खेती को करने से पहले किसानों को एक्सपर्ट से राय लेनी चाहिए. उस खेती की बारीकियों को जान लिया जाए. आज हम ऐसी ही खेती काला अमरूद(Kala Amrud Ki Kheti) के बारे में बताएंगे. यदि इसे सही ढंग से किया जाए तो किसान अच्छा प्रॉफिट कमा सकते हैं. 

मुनाफा कमाना है तो उगाए काला अमरूदविशेषेज्ञों का कहना है कि अभी तक बाजार में आपने पीले, हरे और इलाहाबादी टाइप लाल अमरूद देखें होंगे. ये पारंपरिक खेती हैं. लेकिन, अगर अमरूद की खेती में ही कुछ हटकर करना चाहते हैं तो काला अमरूद बेहतर विकल्प है. भविष्य में काले अमरूद का ही बड़ा बाजार होगा. भारत की जलवायु और मिट्टी काले अमरूद की उपज के लिए उपयोगी है. भविष्य में हरे, पीले के बाद काले अमरूद का बड़ा बाजार होगा. ऐसी अधिक संभावना है कि बाजार में यह अमरूद अच्छे दामों पर बिकेगा. 

बुवाई के लिए सर्द मौसम है बेहतरजानकारों का कहना है कि अमरूद की खेती के लिए सर्द मौसम होना चाहिए. इसके साथ ही मौसम में नमी भी अधिक नहीं होनी चाहिए. इस मौसम में बुवाई करने पर अमरूद की उपज अच्छी होती है. वहीं, उपज के लिए दोमट मिट्टी ठीक रहती हैं. हालांकि सामान्य मिटटी में भी अमरूद की खेती हो सकती है. 

दो साल बाद लगने लगता है अमरूदअमरूद को सही खाद-पानी दिया जाए तो इसकी वृद्धि तेज गति से होती है. किसानों को सही समय पर इसकी कटाई, छंटाई करते रहना चाहिए. बुवाई के दो से तीन साल बाद पेड़ पर अमरूद आना शुरू हो जाता है. अमरूद की देखभाल करते रहें. यदि किसी तरह के कीट रोग हमला करते हैं तो विशेषज्ञ से राय लेकर कीटनाशक का छिड़काव कर देना चाहिए. अमरूद पकने के बाद इसकी तुड़ाई कर देनी चाहिए. 

हिमाचल, यूपी, बिहार में खेती कर रहे किसानमुनाफा अच्छा देख देश के कई हिस्सों में इस अमरूद की खेती शुरू हो गई हैं. हिमाचल के अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार में किसान इस फल की खेती कर रहे हैं. इसके अलावा अन्य कुछ राज्यों में भी इसकी उपज देखी गई है. इसका गूदे का रंग लाल होता है. यह खाने में स्वादिष्ट और पोषक तत्वों से भरा होता है. 

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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