Kashmiri Apple: सेब का नाम आते ही दिमाग में कश्मीर की छवि क्लिक होती है. Jammu-Kashmir वर्ल्ड में एप्पल के सबसे बड़े प्रोडक्शन मार्केट में से एक है. यहां से इंडिया के कोने कोने में सेब की सप्लाई होती है. यह साल कश्मीरी सेब व्यापारियों के लिए अच्छा नहीं रहा है. जम्मू-कश्मीर हाईवे पर निर्माण कार्य करने के चलते पहले ही सेब इंडिया के अलग-अलग स्टेट में समय से नहीं पहुंचे हैं. इससे जुडी एक और वजह सामने आई है, जिससे इस बार कश्मीरी सेब की सप्लाई पर संकट खड़ा हो गया है. अब ऐसे में आप कश्मीरी सेब के दीवाने हैं तो इसे खाने के लिए तरस सकते हैं.

ट्रकों की कमी हुई, एक सप्ताह में Delhi पहुंच रहे

एप्पल मार्केट पर सबसे बड़ा संकट इस साल ट्रक बने हैं. दरअसल जम्मू-कश्मीर हाईवे पर काफी समय से निर्माण कार्य चल रहा है. पहले वहां 8000 ट्रक फंसे हुए थे. हालांकि सेब कारोबारियों की मांग के बाद हाईवे निर्माण में तेजी ला दी गई है. ट्रकों का निकलना शुरू हुआ है. लेकिन उतनी संख्या में ट्रक नहीं जा पा रहे हैं, जितनी में वह हर साल निकल जाते थे. अब भी वहां 6000 ट्रक फंसे बताए जा रहे हैं. 

महंगा होगा सेब

सेब कारोबारियों का कहना है कि पहले जो माल 24 घंटे में दिल्ली पहुंच जाता था, अब 7 दिन तक लग रहे हैं. इसके अलावा अन्य स्टेट में इसी कंडीशन में जा रहे हैं. पहले जितनी लागत सेब के एक डिब्बे पर आती थी, अब ट्रांसपोर्टेशन के कारण वह लागत दोगुनी हो गई है. इसका सीधा असर सेब कारोबारियों पर पड़ रहा है. इस बार यदि सेब महंगा हुआ तो आम आदमी भी सस्ता सेब नहीं खरीद पाएगा.

पहले से संकट में apple market

ईरान से भारत को सेब सप्लाई होने के कारण पहले से ही जम्मू-कश्मीर में एप्पल मार्केट संकट में है. वहां के व्यापारियों में ईरान से आने वाले सेबों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. सेब कारोबारियों का कहना है ईरान से सस्ता सेब से भारत के मार्केट पर निगेटिव असर पड़ेगा. जम्मू-कश्मीर का सेब कारोबार प्रभावित होगा. भारत में सेबों का सर्वाधिक उत्पादन जम्मू-कश्मीर (Apple farming in Jammu-Kashmir) में होता है. यहीं के सेब उत्पादन से भारत को विश्व में सातवां स्थान हासिल है. सभी फलों के उत्पादन में इसका हिस्सा देश में 3 प्रतिशत है. सेब की खेती (Apple Cultivation) से प्रदेश को करीब 1500 करोड़ की आमदनी होती है.

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