Cow Milk Side Effects: दुनियाभर में डेयरी उत्पादों की मांग बढ़ती जा रही है. भारत को दूध-डेयरी के बड़े उत्पादक और निर्यातक के तौर पर देखा जाता है. इस बीच गाय के दूध की डिमांड में भी काफी उछाल देखा गया है. अब लोग अच्छी सेहत के लिए गाय के दूध और इससे बने डेयरी प्रॉडक्ट्स में ज्यादा रुचि ले रहे हैं. इससे बाजार में गाय के दूध की मांग बढ़ गई है. साथ ही, गाय पालने वाले दूध उत्पादकों पर अधिक दूध उत्पादन का प्रेशर बढ़ने लगा है. दूध उत्पादक किसान अब गायों की संख्या बढ़ाने के बजाए गायों को एंटीबायोटिक्स के इंजेक्शन दे रहे हैं. इससे गायों का दूध रिसता जा रहा है. इससे बेशक बाजार में गाय के दूध (Cow Milk) की डिमांड पूरी हो जाए, लेकिन गाय की सेहत के साथ-साथ ये दूध पीने वाले लोगों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ रहा है. 


सेहत पर दवाएं बेअसर
अकसर ज्यादा दूध के लिए गायों को एंटीबायोटिक्स के इंजेक्शन दिए जा रहे हैं. इंजेक्शन की ज्यादा हेवी डोस से गायों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है. इससे गाय की आंतों में पाए जाने वाले बैक्टीरिया की ग्रोथ कम हो जाती है. ये बैक्टीरिया जुगाली करने वाले पशुओं की आंत में पाया जाता है, जिसकी ग्रोथ कम होने से दूध की क्वालिटी पर बुरा असर पड़ता है. वहीं जब लोग इस गाय का दूध पीते हैं तो उनके शरीर में भी दूध के जरिए एंटीबायोटिक्स की कुछ मात्रा पहुंच जाती है, जो इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधी क्षमता को प्रभावित करती है. इसका बुरा असर ये होता है कि जब बीमारी में कोई दवाई खाते हैं तो एंटीबायोटिक्स कोई काम ही नहीं करते. 


एक्सपर्ट्स ने किया खुलासा
गाय को एंटीबायोटिक्स इंजेक्शन लगाने का मामला कोई छोटा नहीं है. ये सीधा गाय और लोगों की सेहत से जुड़ा है. सिर्फ बाजार में दूध की मांग को पूरा करने के लिए पशुओं को लगाए जा रहे टीकों को लेकर कॉर्नेल यूनिवर्सिटी ने एक रिसर्च भी की है. इस रिसर्च में बताया गया है कि अकसर जब लोग बीमार होते हैं, तभी गाय के दूध का इस्तेमाल करते हैं. अगर बीमार इंसान भी गाय के दूध का सेवन करता है तो उस पर दवाईयों का कोई असर नहीं होता. इस रिसर्च में शामिल एक्सपर्ट डॉ. रेनाटा इवानेक ने बताया कि दुनिया में सबसे ज्यादा एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल डेयरी बिजनेस (Dairy Business) में ज्यादा दूध उत्पादन के लिए किया जा रहा है.


बचाव के लिए अपनाएं ये तरीका
गाय और लोगों की सेहत के साथ-साथ दूध की क्वालिटी को ठीक करने के लिए इन एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल तुरंत कम करना होगा. रिसर्चर डॉ. रेनाटा इवानेक भी कहते हैं कि अगर वर्ल्ड लेवल पर एंटीबायोटिक्स के इन बुरे प्रभावों से निपटना है तो डेयरी सेक्टर की गायों पर भी एंटीबायोटिक्स इंजेक्शन या टीकों के इस्तेमाल पर रोक लगानी होगी. बता दें कि यह रिसर्च अमेरिका में रहने वाले लोगों पर आधारित है. यहां एंटीबायोटिक वाले दूध के डब्बों पर लेबल लगाया जाता है, ताकि खरीदने और इस्तेमाल करने से पहले ही जानकारी मिल जाए, लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि बिना लेबल वाले दूध के मुकाबले, लेबल वाला दूध भी अमेरिका में खूब बिक रहा है. इतने साइडइफेक्ट्स के बावजूद लोगों ने एंटीबायोटिक्स वाले दूध को खरीदा है और उसका सेवन किया है. 


जानकारी के लिए बता दें कि दूध पर आधारित इस रिसर्च का मकसद लोगों को जागरुक करना है, ताकि लोग लेबल और बिना लेबल वाले दूध में अंतर ढूंढ सकें. अपनी  सेहत के प्रति जागरुक रह सकें. साथ ही पशुपालक भी गाय पर अधिक दूध उत्पादन के लिए एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल ना करें, क्योंकि गाय ही डेयरी की असली जमापूंजी होती है. एंटीबायोटिक्स के साइड इफेक्ट से गाय की सेहत भी प्रभावित हो सकती है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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