Agriculture Advisory for Winters: सर्दियां का मौसम आ गया है. हवा और वातावरण में ठंड बढ़ती जा रही है. एक्सपर्ट्स ने अनुमान लगाया है कि इस साल सर्दियों का मौसम लंबा चलने वाला है. सर्दियों का सबसे ज्यादा असर उत्तर भारत में पड़ता है. उत्तर भारत के ज्यादातर राज्य कृषि प्रधान हैं. यहां की बड़ी आबादी गांव में रहती है और अपनी आजीविका के लिए खेती और पशुपालन करती हैं. ऐसे में सर्द जलवायु से पशुओं और फसलों के साथ-साथ किसानों को खुद की सुरक्षा का भी खास ध्यान रखना होता है.

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि अधिक सर्दी पड़ने से अनाज, दाल, तिलहन, फल, और फूल का उत्पादन कम हो जाता है. खासकर फलों के उत्पादन में काफी गिरावट देखी जाती है. इससे नुकसान की संभावना भी बनी रहती है. इस समस्या से निपटने के लिए अभी से किसानों को बचाव के उपाय करने होंगे, ताकि फसल पर बुरा असर ना पड़े.

क्यों होता है नुकसानकृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि सर्दियों में फसल को अधिक देखभाल और निगरानी की जरूरत होती है. इन दिनों तापमान जीरो डिग्री सेल्सियस से भी नीचे चला जाता है, जिससे हवा चलना भी बंद हो जाती है. इसका असर फसल के पौधों पर पड़ता है. पौधों की कोशिकाओं को अंदर और ऊपर पानी जमन लगता है और बर्फ की ठोस परत जम जाती है. इसे ही पाला कहते है, जिससे कार्बन डाइऑक्साइड, ऑक्सीजन और वाष्प की विनियम प्रक्रिया बाधित हो जाती है और फसलें बर्बाद होने लगती है.

फलों की उपज को नुकसानफल और सब्जी एक्सपर्ट्स के मुताबिक, शीतलहर के कारण फसल के साथ-साथ फलदार पेड़ों की क्वालिटी गिर जाती है. सबसे अधिक नुकसान उस समय होता है, जब फसल से फल-फूल निकल रहे हैं या विकसित अवस्था में हों. ऐसी स्थिति में पत्तियां और फूल झुलस जाते हैं. कई फसलें तो बदलते मौसम के प्रति सहनसील होती हैं, लेकिन कुछ फसलें बदलाव नहीं झेल पाती हैं. इनके फल, फूल और पत्तियां धीरे-धीरे मुरझाकर भूरे रंग के हो जाते हैं और जमीन पर गिर जाते हैं. यही कारण है कि सर्दियों में कुछ फसलों की पैदावार और क्वालिटी में कमी आ जाती है.

  • सब्जी फसलों के अलावा पपीता, आम और अमरूद की फसल पर पाले और शीतलहर का बुरा असर पड़ सकता है.
  • टमाटर, मिर्च, बैंगन, पपीता, मटर, चना, अलसी, सरसों, जीरा, धनिया, सौंफ आदि फसलों में नुकसान के आसार रहते हैं.
  • अरहर, गन्ना, गेहूं और जौ फसलों पर पाला और शीत लहर का बुरा असर नहीं होता, ये फसलें 2 डिग्री सेंटीग्रेट तक कम तापमान सह लेती हैं.

इस तरह करें समाधानजलवायु की मार से सब्जी फसलों को बचाने के लिए संरक्षित खेती करने की सलाह दी जाती है. किसान चाहें तो पॉलीहाउस, ग्रीनहाउस, शेड नेट या लो टनल लगाकर भी सब्जियों की खेती कर सकते हैं. सब्जियों को धान की पुआल से ढंककर भी नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है. इस तरह एक सुरक्षा आवरण से कवर करने पर तापमान नियंत्रित रहता है. अगर पाला पड़ने के आसान नजर आयें तो फसल की हल्की सिंचाई करने की सलाह दी जाती है, इससे मिट्टी का तापमान कंट्रोल रहता है.

  • सरसों, गेहूं, चावल, आलू, मटर समेत रबी सीजन की नकदी फसलों को पाले से बचाने के लिए सल्फर(गंधक) का छिड़काव करना चाहिए, इससे रासायनिक सक्रियता बढ़ जाती है.
  • बता दें कि सल्फर (गंधक) का छिड़काव करने से पौधों की सल्फर की आपूर्ति, रोगप्रतिरोधी क्षमता मजबूत और फसल समय से पहले पककर तैयार हो जाती है.

खेत में पेड़ लगाएंखेत-खलिहान को मौसम की मार से बचाने का सबसे अच्छा तरीका है पेड़ लगाना. बता दें कि गर्मियों में पेड़ों से खेत के आस-पास का तापमान नियंत्रित रहता है और फसलें झुलसने से बच जाती है. इसी तरह सर्दियों में पाला और शीतलहर से फसलों को बचाने के लिए खेत की मेड़ों पर शीशम, बबूल और जामुन जैसे हवा रोकने वाले पेड़ों को लगाने की सलाह दी जाती है.

एक्सपर्ट्स की मानें को पाला और शीतलहर चलने पर निराई-गुड़ाई करने से बचना चाहिए, क्योंकि इस तरह मिट्टी का तापमान कम हो जाता है और फसलों को अधिक नुकसान की संभावना रहती है. सर्दियों के मौसम में बागवानी फसलों की संरक्षित खेती करना ही फायदेमंद रहता है. 

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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